राहुल को नायक के रूप में उभारने की पुरजोर कोशिश में केंद्र सरकार

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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राहुल की भ्रष्टाचार विरोधी छवि गढ़ने की कवायद में केंद्र सरकार सिर के बल खड़ी हो गई है। राहुल गांधी के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने लोकसभा में लंबित 6 भ्रष्टाचार निरोधी कानूनों को पारित करने की तैयारी कर ली है। तेलंगाना के मुद्दे पर हुए अभूतपूर्व हंगामे के चलते सदन की गरिमा के निम्नतम स्तर पर चले जाने के बाद एक बार फिर टकराव का माहौल बन सकता है। कांग्रेस उपाध्यक्ष को चुनावों से पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ नायक के रूप में उभारने के लिए सरकार किसी भी हद तक जाएगी। विधेयकों को संसद की दहलीज पार कराने के लिए राहुल ने यह जिम्मेदारी अपने खास सिपहसालार जयराम रमेश को सौंपी है। संकेत यह भी हैं कि अगर इन बिलों को संसद से मंजूरी नहीं मिली तो सरकार इन पर अध्यादेश लेकर आएगी।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों में कांग्रेस के चारों खाने चित्त होने के बाद से ही कांग्रेस और खासतौर से टीम राहुल बेहद जल्दबाजी में है। अरसे से संसद में लंबित भ्रष्टाचार विरोधी विधेयकों को संसद के आखिरी सत्र में पारित कराने के लिए राहुल गांधी ने जोर लगा दिया है। विधानसभा नतीजों का ही असर था कि पूरी ताकत लगाकर लोकपाल विधेयक पारित कराया गया। इसका श्रेय राहुल गांधी को देने के लिए कांग्रेस के प्रबंधकों ने पूरी पटकथा लिखी और उसको अंजाम तक भी पहुंचाया। अब भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के लिए खुद को योद्धा के रूप में पेश करने के लिए राहुल लोकसभा चुनाव से पहले छह भ्रष्टाचार विरोधी पारित कराने पर अडिग हैं।

यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कांग्रेस पहले ही ‘राहुल गांधी के छह हथियार, दूर करेंगे भ्रष्टाचार’ के नारों वाले पोस्टर छपवाकर अपनी सियासी मुहिम भी शुरू कर चुकी है। हालांकि, विपक्षी दल साफ कर चुके हैं कि ये सब बेहद अहम विधेयक हैं। इन्हें आनन-फानन में नहीं, बल्कि विस्तृत चर्चा के बाद ही पारित किया जाना चाहिए। भाजपा और वाम दलों समेत अन्य दलों ने साफ कहा है कि संसद को एक व्यक्ति की सियासी इच्छाओं को पूरा करने का माध्यम नहीं बनाया जा सकता। इसके बावजूद सरकार एक बार फिर राहुल के बिलों के लिए कुछ भी करने को तैयार है।

बिलों को पारित करने में कहीं कोई चूक न हो इस के लिए राहुल ने इसकी जिम्मेदारी अपने खास सेनापति जयराम रमेश को सौंपी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए एक फ्रेमवर्क बनाने की जरूरत बताते हुए राहुल गांधी इन बिलों को पास करने के लिए मौजूदा सत्र को बढ़ाने की वकालत भी कर चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि ये विधेयक संसद सत्र में नहीं पारित हुए तो सरकार अध्यादेश के रास्ते भी इन्हें लागू कराने की कोशिश करेगी। लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज कर चुके राहुल ने हालिया कर्नाटक दौरे में भाजपा पर इन बिलों के पास न होने देने का अरोप भी मढ़ा था। कांग्रेस को उम्मीद है कि येद्दयुरप्पा की वापसी के बाद अगर भाजपा इन बिलों को सदन में रोकने की कोशिश करेगी तो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उसे घेरने में पार्टी को आसानी होगी।

ये हैं राहुल के विधेयक

1. न्यायिक जवाबदेही बिल, 2010

2. व्हिसिल ब्लोवर प्रोटेक्शन बिल, 2011

3. समय पर सेवाएं पाने और उनकी सुनवाई का अधिकार, 2011

4. विदेशी और गैर सरकारी अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में रिश्वत निरोधी बिल, 2011

5. भ्रष्टाचार निरोधी बिल [संशोधित], 2013

6. पब्लिक प्रोक्युरमेंट [सरकारी खरीद] बिल 2012