शुक्रवार का दिन यूपीए सरकार के लिए ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ, कांग्रेस पार्टी और मनमोहन सरकार की लंबी फजीहत के बाद आखिरकार रेल मंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया, दोनों मंत्रियों ने पीएम आवास जाकर पीएम को इस्तीफा सौंपा।
रेल घूसकांड के आरोपों में पवन बंसल की कुर्सी गयी, जबकि कोलगेट में सीबीआई क…
शुक्रवार का दिन यूपीए सरकार के लिए ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ, कांग्रेस पार्टी और मनमोहन सरकार की लंबी फजीहत के बाद आखिरकार रेल मंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया, दोनों मंत्रियों ने पीएम आवास जाकर पीएम को इस्तीफा सौंपा।
रेल घूसकांड के आरोपों में पवन बंसल की कुर्सी गयी, जबकि कोलगेट में सीबीआई की जांच में दखल देने के आऱोप में कानून मंत्री अश्विनी कुमार भी नप गए। सोनिया गांधी के दबाव के चलते ही दोनों मंत्रियों से इस्तीफा लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक मल्लिकार्जुन खड़गे को देश का नया रेलमंत्री बनाया जा सकता है।
रिश्वत की रेल में सवार पवन बंसल को आखिरकार ट्रेन से उतरना ही पड़ा। सोनिया गांधी के कड़े रुख के आगे झुकते हुए पवन बंसल ने प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया। बंसल के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री आवास पहुंचे कानूनमंत्री अश्विनी कुमार और अहमद पटेल के बीच करीब दो घंटे तक कश्मकश चली, जिसके बाद कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा दे दिया।
भांजे के रिश्वतकांड में बंसल और कोलगेट रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में हुई फजीहत के बाद दोनों मंत्रियों पर तलवार लटक रही थी। शुक्रवार को पूरे दिन सरकार और संगठन में उठापटक जारी रही। शाम को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पीएम आवास पहुंची और करीब पौन घंटे तक वहीं रही। पीएम से चर्चा के बाद मैडम ने बंसल के इस्तीफे का फरमान जारी कर दिया।
रेल भवन पहुंचे और मंत्रालय का जरूरी काम-काज निपटाया, जिसके बाद ही उनके इस्तीफे की अटकलें तेज हो गईं। रेल भवन से निकलते ही मीडिया ने उन पर सवालों की बौझार कर दी, लेकिन वो बिना कुछ कहे घर चले गए।
आखिरकार चौतरफा घिरे कानून मंत्री और रेलमंत्री की छुट्टी हो गई। जाहिर है, प्रधानमंत्री को न चाहते हुए भी दोनों से इस्तीफे लेने पड़ गये, मनमोहन सिंह की ऐसी फजीहत इससे पहले कभी नहीं हुई।
बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने पूरे मामले पर ट्वीट किया और कहा कि दो मंत्रियों का इस्तीफा यह साफ करने के लिए काफी है कि हमारी मांगें जायज थीं। सरकार ने बेवजह इस मसले को इतना लंबा खींच लिया। अगर वे इस्तीफे की हमारी मांग को पहले ही मान लेते तो संसद सत्र बेहतर और सुचारू तरीके से चल सकता था।