साईं पूजा पर सवाल खड़ा करने वाले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री उमा भारती पर निशाना साधा है. उन्होंने मामले में प्रधानमंत्री के दखल की जरूरत से इनकार किया, पर उमा भारती से साईं भक्ति पर अपना रुख साफ करने को कहा है.
उन्होंने कहा, ‘उमा भारती के मौन से काम नहीं चलेगा, अगर उन्होंने मामले में पैर डाला है तो अपना पक्ष साफ करना होगा.’ शंकराचार्य ने कहा कि साईं पूजा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार को अभी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मैं खुद काफी हूं.’
शंकराचार्य ने कई राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय रखी. उन्होंने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का भी समर्थन किया. उन्होंने सरकार से अपील की कि कैलाश मानसरोवर यात्रा में आ रही बाधाएं दूर की जाएं.
‘उमा भारती से नाराज हैं राम’
इससे पहले शनिवार को भी शंकराचार्य ने उमा भारती पर जमकर जुबानी प्रहार किए. शंकराचार्य ने कहा कि उमा भारती साईं की पूजा का समर्थन कर दबाब की राजनीति कर रही हैं. वह राम भक्त नहीं हैं. वह साईं की पूजा करती हैं. उनसे राम भगवान नाराज हैं और साईं भक्ति ही उमा भारती की असफलता की वजह है.
उन्होंने कहा कि उमा मंत्री हैं, भगवान नहीं. उन्हें जनता ने शासन करने के लिए चुना है और वो धार्मिक व्यवस्थाओं में दखल ना दें. इससे पहले उमा भारती ने हरिद्वार में साईं पूजा का समर्थन करते हुए कहा था कि वो खुद साईं भक्त हैं और यदि उनके भक्त साईं को भगवान मानते हैं तो क्या गलत है.
विवाद बढ़ाने के मूड में नहीं उमा!
उमा भारती ने कहा था कि वह संत परंपरा में यकीन रखती हैं और इस विवाद को आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं. केंद्रीय जल संसाधन मंत्री के इस बयान पर शंकराचार्य बिफर गए. उन्होंने उमा भारती की गुरु भक्ति को ही सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए कहा कि जिन गुरु स्वामी विश्वेश तीर्थ से संन्यास की दीक्षा ली हैं, वह साईं पूजा का विरोध कर रहें हैं. उन्होंने हमारी बात का सर्मथन किया है. सनातन पंरपरा में संन्यासी गुरु भक्त होता है तो उमा कैसी संन्यासिनी हैं जो अपने गुरु के खिलाफ जा रही हैं.
शंकराचार्य ने कहा कि हिन्दू धर्म में सनातन धर्म में आचार्य धार्मिक व्यवस्थाओं को देखते हैं और उमा बताएं कि कौन सा आचार्य कह रहा है कि साईं की पूजा करना उचित है.
आपको बता दें ये विवाद तब शुरू हुआ था जब द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था कि हिंदुओं को साईं की पूजा नहीं करनी चाहिए.