सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इनको खानी पड़ेगी जेल की हवा…

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सुप्रीम कोर्ट सख्त है तो यूं ही नहीं। एक नेता की छवि कभी मिसाल हुआ करती थी लेकिन अब आम जनभावना यह है कि नेतागिरी हमारा काम नहीं है। राजनीति बहुत गंदी हो गई है। खोट की फेहरिस्त लम्बी है लेकिन सियासत में सबसे बड़ा खोट भ्रष्टाचार है जो हर तरह के खोट को जन्म देता है।

सियासत में भ्रष्टाचार की शुरुआत टिकट बंटवारे में शुरू होती है। चुनाव जीतने के लिए भ्रष्…

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इनको खानी पड़ेगी जेल की हवा...

सुप्रीम कोर्ट सख्त है तो यूं ही नहीं। एक नेता की छवि कभी मिसाल हुआ करती थी लेकिन अब आम जनभावना यह है कि नेतागिरी हमारा काम नहीं है। राजनीति बहुत गंदी हो गई है। खोट की फेहरिस्त लम्बी है लेकिन सियासत में सबसे बड़ा खोट भ्रष्टाचार है जो हर तरह के खोट को जन्म देता है।

सियासत में भ्रष्टाचार की शुरुआत टिकट बंटवारे में शुरू होती है। चुनाव जीतने के लिए भ्रष्टाचार होता है और चुनाव जीतने के बाद तो जैसे नेताओं को भ्रष्टाचार करने का अधिकार मिल जाता है। नतीजा रिश्वतखोरी से लेकर बड़े-बड़े घोटालों से होने वाले नुकसान को झेलने के लिए देश की जनता मजबूर होती है।

अब इस आंकड़े पर नजर डालिए जिसमें चुनाव के वक़्त सांसदों और विधायकों के दिए हलफ़नामों से पता चला कि देश में 4 सांसद और 29 विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं और पिछले 5 सालों में राजनीतिक दलों ने 98 ऐसे लोगों को उम्मीदवार बनाया जिनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मामले थे। इसका खुलासा तो खुद आरोपियों ने किया है लेकिन इसके अलावा भी कई बड़े खुलासे हुए हैं।

हाल ही में रेलवे में रिश्वतखोरी का मामला सामने आया। जिसमें पैसे लेकर प्रमोशन का खुलासा हुआ। इस मामले में अपने भांजे के पकड़े जाने के बाद पवन बंसल को रेल मंत्री के पद से इस्तीफा भी देना पड़ा। हालांकि इस मामले में सीबीआई ने पवन बंसल को सरकारी गवाह बनाया है, लेकिन उस पर सवाल उठ रहे हैं।

इससे पहले भ्रष्टाचार की फेहरिस्त में बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी का नाम भी जुड़ चुका है। बीजेपी अध्यक्ष रहते नितिन गडकरी की कंपनियों में गड़बडियों को लेकर पड़े इनकम टैक्स के छापों के चलते ही वो दूसरी बार पार्टी का अध्यक्ष बनने से चूक गए।

घोटाले के आरोपों के घेरे में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का नाम भी सामने आ चुका है। इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने पूर्व कानून मंत्री खुर्शीद और उनकी पत्नी पर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट के जरिए विकलांगों के बीच बांटे जाने वाले सामानों के नाम पर 71 लाख रुपये के घपले का आरोप लगाया था।

यही नहीं 1 लाख 76 हजार करोड़ के टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले को लेकर पूर्व संचार मंत्री ए राजा को लंबे समय तक जेल में भी रहना पड़ा। यही नहीं उनके साथ डीएमके प्रमुख करुणानिधि की बेटी और सांसद कनिमोझी को भी जेल जाना पड़ा। कॉमनवेल्थ खेल में घोटाले के खुलासे के बाद इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर रहे कांग्रेस नेता सुरेश कलमाडी को भी जेल की हवा खानी पड़ी।

कांग्रेस-बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव, बीएसपी सुप्रीमो मायावती पर भी आय से ज्यादा संपत्ति के मामले दर्ज हुए। यूपी में एनआरएचएम घोटाले में भी बीएसपी के कई नेताओं पर केस चल रहे हैं और कई आरोपों के घेरे में हैं। बिहार में हुए चारा घोटाले के सिलसिले में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को जेल भी जाना पड़ा था। इसी के चलते उन्हें मुख्यमंत्री का पद भी छोड़ना पड़ा था। अभी भी वो इस मामले से जूझ रहे हैं। इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष रहते ही बंगारु लक्ष्मण कैमरे पर घूस लेते पकड़े जा चुके थे।

कोयला ब्लॉक आवंटन में गड़बड़ी का मामला भी सामने आ चुका है। इसमें 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की सीएजी ने अनुमान लगाया था। इस मामले में विपक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक पर उंगली उठा चुका है। क्योंकि कोयला विभाग पीएम के पास ही था। इस मामले में सीबीआई की जांच रिपोर्ट में बदलाव को लेकर अश्विनी कुमार को कानून मंत्री के पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था।

यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट को यहां तक कहना पड़ा कि सीबीआई पिंजरे में बंद वो तोता है जिसका इस्तेमाल सत्ता में रहनेवाले दल अपने सियासी हित साधने के लिए करते हैं। इक्कीसवीं सदी में देश ने सियासत में भ्रष्टाचार के  नए रिकॉर्ड को देखा है।

यही नहीं भ्रष्टाचार के मसले पर जब अन्ना आंदोलन हुआ और पूरा देश लोकपाल बिल की मांग कर रहा था तो लोकसभा में मुलायम सिंह यादव ने बयान दिया कि ऐसा हुआ तो नेताओं को दारोगा पकड़ ले जाएगा। लोकपाल बिल का डर आज भी सियासी दलों में है यही वजह है कि पिछले 45 सालों से ये बिल संसद के दोनों सदनों में आता रहा है और जाता रहा है लेकिन कभी पास नहीं हो सका। वजह यह कि भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी।