हड़ताल पर जा सकते हैं भारतीय रेल के कर्मचारी!

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देश की लाइफ लाइन कही जाने वाली भारतीय रेल का चक्का एक बार फिर जाम हो सकता है। रेलवे के करीब 14 लाख कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो अक्टूबर महीने में देश की धड़कन थम सकती है।

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल सेवा एक बार फिर ठप हो सकती है। करोड़ों मुसाफिरों के सफर पर विराम लग सकता है क्योंकि 39 साल…

हड़ताल पर जा सकते हैं भारतीय रेल के कर्मचारी!

देश की लाइफ लाइन कही जाने वाली भारतीय रेल का चक्का एक बार फिर जाम हो सकता है। रेलवे के करीब 14 लाख कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो अक्टूबर महीने में देश की धड़कन थम सकती है।

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल सेवा एक बार फिर ठप हो सकती है। करोड़ों मुसाफिरों के सफर पर विराम लग सकता है क्योंकि 39 साल बाद एक बार फिर रेल कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं।

खबर है कि इंडियन रेलवे के करीब 14 लाख कर्मचारी अपनी अलग अलग मांगों के समर्थन में इस साल अक्टूबर महीने से रेल का चक्का जाम कर सकते हैं। रेलवे की सबसे बड़ी यूनियन ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन एआईआरएफ ने इस हड़ताल का आह्वान किया है।

रेलकर्मियों की नाराजगी प्रशासन के ढुलमुल रवैये से है। आरोप है कि बार बार कहने के बावजूद रेल मंत्रालय उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है।

रेल कर्मचारियों की मांग है कि जल्द से जल्द सातवें वेतन आयोग का गठन किया जाए। छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर किया जाए। नई पेंशन स्कीम को रद्द किया जाए। रेलवे में खाली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरा जाए और कैडर में संशोधन किया जाए।

जाहिर है अगर रेल कर्मचारियों की ये मांगे नहीं मानी गयीं तो 39 साल बाद एक बार फिर देश की लाइफ लाइन पर विराम लग सकता है।

इससे पहले 1974 में तत्कालीन रेलवे यूनियन के अध्यक्ष जार्ज फर्नांडीस की अगुवाई में करीब 15 लाख कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। करीब 20 दिन चले उस हड़ताल से पूरे देश में हाहाकार मच गया था। हालात ऐसे बन गए कि तत्कालीन इंदिरा सरकार को देश में इमरजेंसी लगानी पड़ी तो क्या एक बार फिर वही इतिहास दोहराया जाएगा।

फिलहाल भारतीय रेलवे रोजाना तकरीबन 7 हजार पैसेंजर ट्रेनों समेत 11 हजार गाड़ियां चलाती है जिसके जरिये करीब पौन दो करोड़ लोग रोजाना सफर करते हैं।

ऐसे में सवाल ये है कि अगर ये हड़ताल हुई तो क्या होगा, क्या एक बार फिर देश इमरजेंसी के मुहाने पर खड़ा है। क्या इस हालात से निपटने के लिए एक बार फिर आपातकाल लागू होगा?