अपने ही मंच पर नहीं पहुंचे अन्ना, समर्थकों ने कहा-हमारे साथ धोखा हुआ

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नई दिल्ली. जमीन अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन के दूसरे दिन खुद अन्ना हजारे मंच पर नहीं आए। समर्थक दिनभर इंतजार करते रहे, लेकिन अन्ना हजारे मंच पर नहीं पहुंचे। मंच से आयोजक लगातर एलान करते रहे कि अन्ना पहुंचने वाले हैं, लेकिन सुबह से शाम हो गई और अन्ना नहीं पहुंचे। अन्ना के न आने से नाराज उनके सर्मथकों ने कहा कि अन्ना और आयोजकों ने उनके साथ धोखा किया है। शाम तक मंच से यही बोला जाता रहा कि अन्ना आएंगे। लेकिन वे नहीं आए। गाजियाबाद से आए किसान सतपाल ने कहा कि आयोजक लोगों को मूर्ख बना रहे हैं। हम दिनभर इंतजार करते रहे, लेकिन अन्ना नहीं आएं हैं।
भीड़ वाले मंच पर पहुंचे अन्ना
बताया जा रहा है कि जंतर मंतर पर उम्मीद से कम जुटी भीड़ को देखकर अन्ना ने वहां न जाने का फैसला किया। अन्ना हजारे जंतर मंतर पर लगे मंच पर तो नहीं पहुंचे, लेकिन वे पार्लियामेंट स्ट्रीट पर वाम किसान संगठनों के आंदोलन के मंच पर पहुंच गए, जहां हजारों की तादाद में देशभर से लोग जमीन अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ पहुंचे थे।
केजरीवाल को विरोध का सामना करना पड़ा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी पूरी टीम के साथ वाम मोर्चे के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे। लेकिन उन्हें वहां भारी विरोध का सामना करना पड़ा। केजरीवाल करीब तीन बजे पहुंचे और पांच मिनट मंच के सामने नीचे बैठने के बाद अपने सुरक्षाकर्मियों के सहारे मंच पर जाने की कोशिश की, लेकिन वहां लोगों ने उन्हें जाने से रोक दिया। थोड़ी देर बाद लगभग छह फीट ऊंचे मंच पर मुख्यमंत्री को बांह पकड़कर ऊपर खींच कर चढ़ाया गया और तब उन्हें जाकर मंच पर जगह मिली। बाद में केजरीवाल और उनके सुरक्षाकर्मियों को मंच से उतरना पड़ा।
केजरीवाल के साथ विधायक भी पहुंचे
केजरीवाल के साथियों-मनीष सिसौदिया, संजय सिंह, सोमनाथ भारती, आशुतोष, अलका लांबा, अखिलेश त्रिपाठी समेत ‘आप’ के सभी विधायक वहां पहुंचे थे। इन सभी ने मंच पर जाने की कोशिश की, लेकिन किसी को जगह नहीं मिली। किसान संगठन के नेता के तौर पर केवल योगेंद्र यादव को मंच पर बैठने की इजाजत दी गई।
क्या है मामला
अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन के तहत किसान संगठनों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन करने और पूरे आंदोलन को राजनीति से दूर रखने का फैसला किया था। लेकिन सोमवार को केजरीवाल ने अन्ना से मुलाकात की और केजरीवाल के मंच सांझा करने का निर्णय हुआ, जिसका आयोजनकर्ताओं ने जमकर विरोध किया। इससे अन्ना नाराज हो गए और वाम संगठनों के मंच पर चले गए और अरविंद केजरीवाल को भी वहीं बुला लिया। इस मंच पर भी केजरीवाल के साथ अन्ना को भी विरोध झेलना पड़ा। अन्ना ने कहा कि यह मंच राजनीतिक नहीं है, लेकिन अरविंद सीएम हैं लिहाजा उन्हें मौका दिया जाना चाहिए।
केजरीवाल बोले-उद्योगपतियों की दलाल बन जाएगी सरकार
आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा, “भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन किसानों और गरीबों के खिलाफ है और हम इसका घोर विरोध करते हैं। अगर अध्यादेश ने कानून का शक्ल ले लिया, तो सरकार उद्योगपतियों की दलाल और प्रॉपर्टी डीलर बन जाएगी।” केजरीवाल ने कहा कि भले ही में दिल्ली में जमीन का मुद्दा राज्य सरकार के अधीन न हो, लेकिन इसके बाद भी राज्य में जबर्दस्ती जमीन का अधिग्रहण नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस ने जनता विरोधी काम किए, जिसकी वजह से आम लोगों ने उन्हें सत्ता से हटा दिया। अब बीजेपी सरकार भी यही गलती दोहरा रही है। लोग उन्हें भी सबक सिखाएंगे। उन्होंने अन्ना हजारे से अपील की है कि वे बुधवार को दिल्ली सचिवालय में आएं और सिर्फ दस मिनट के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों का मार्गदर्शन करें।
अन्ना के आंदोलन को समर्थन पर ‘आप’ में पड़ी फूट
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन में शामिल होने के सवाल पर आम आदमी पार्टी में फूट पड़ती नजर आ रही है। जंतर-मंतर पर चल रहे आंदोलन में शामिल होने के सवाल पर आप नेता नवीन जयहिंद ने चंडीगढ़ में बयान जारी कर कहा कि हरियाणा के पार्टी कार्यकर्ता आंदोलन में शामिल होंगे। वहीं, पार्टी के सीनियर नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि अगर अन्ना के मंच से बुलावा आया तो वहां जाएंगे।
दो नेता, दो बयान
योगेंद्र यादव ने पानीपत में कहा, “धरने में अन्ना मंच की तरफ से आमंत्रण मिलेगा तो जरूर हिस्सा लेंगे। अन्ना पार्टी के लिहाज से बुलाएंगे या ‘जय किसान अभियान’ के नाते बुलाएं, यह फैसला उन्हें करना है।” वहीं, नवीन जयहिंद ने एक बयान में कहा है कि अन्ना हजारे के आंदोलन को समर्थन देने के लिए मंगलवार को प्रदेश से पार्टी कार्यकर्ता जाएंगे। उन्होंने कहा, “प्रदेश के हर जिले से किसान चलकर ‘आप’ के कार्यकर्ताओं के साथ जंतर-मंतर पहुंचेंगे और अन्ना के हाथों को मजबूत करेंगे।”
सेना के पूर्व अधिकारियों के हाथों में अन्ना आंदोलन की कमान
टीम अन्ना की कोशिश है कि इस बार आंदोलन को अराजनीतिक रखा जाए। आंदोलन की खास बात ये है कि इस बार पूरी जिम्मेदारी भारतीय सेना के तीन पूर्व अधिकारी संभाल रहे हैं। ये तीन नाम हैं कर्नल एसपी सिंह, सुनील फौजी और दिनेश नयन। सुनील फौजी ने संयुक्त किसान संघर्ष समिति के बैनर के तले किसानों को एकजुट किया, जिसमें से ज्यादातर किसान जंतर-मंतर पहुंचे हैं। कर्नल एस पी सिंह मंच का संचालन कर रहे हैं और उन्हीं के निर्देश पर लोगों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। दिनेश नयन पूर्व सेना अधिकारी हैं और अन्ना हजारे के रालेगांव दफ्तर से सीधे जुड़े हुए हैं। वह अन्ना के निर्देश पर ही सभी प्रकार के इंतजाम कर रहे हैं।