जम्मू। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अलगाववाद और सांप्रदायिकता एक ही सिक्के के दो पहलू है। अध्यापकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा दे कि वे शांति में विघ्न डालने वालों के मंसूबों को नाकाम बनाए।
जम्मू विश्वविद्यालय में परीक्षा ब्लाक सेकेंड का उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू एक धर्मनिरपेक्ष जगह है और यहां के लोग धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखते है। जम्मू के लोगों ने कश्मीरी विस्थापित पंडितों व मुसलमानों को जगह दी। आरएसपुरा से मुफ्ती साहिब ने चुनाव जीता था। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि किसी भी किस्म की दहशतगर्दी बुरी होती है। दहशतगर्दी में खाडी देशों व मुस्लिम देशों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमेशा ही अच्छे विचारों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। जम्मू कश्मीर में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की कमी नही है। आईएएस व आईपीएस अधिकारी बन रहे है। कश्मीर में कुछ ऐसी ताकते सक्रिय है जो शांति को भंग करने के प्रयास में लगी हुई है। हमें किसी भी किस्म के सांप्रदायिक तनाव को नाकाम बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जम्मू के मुसलमान कभी अलगाववाद का हिस्सा नही बने। इसलिए ऐसी कोशिश होनी चाहिए कि यहां के मुसलमान अपने आप को अलग-थलग महसूस न करे। जम्मू में किसी भी तरह की सांप्रदायिकता वाली राजनीति ठीक नही है ताकि राज्य, क्षेत्र व देश को बांटने वाले प्रयासों को नाकाम बनाया जाए। महबूबा ने कहा कि जम्मू कश्मीर एक संवदेनशील राज्य है। अध्यापकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे विद्यार्थियों को सही दिशा दे। राजनीति में धर्म व कट्टरवाद को शामिल न करे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने भाजपा के साथ इसलिए गठजोड़ किया ताकि जम्मू व कश्मीर के बीच दरार को भरा जाए। जम्मू कश्मीर व देश के बीच पुल की तरह काम हो। साथ ही देशों भारत व पाक के बीच संबंधों में सुधार आए।
जम्मू विवि में परीक्षा ब्लाक सेकेंड का उद्घाटन करने पहुंची मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इशारों में वीसी पर निशाना साधा। उन्होंने समारोह का संबोधन करते हुए कहा कि मैं विद्यार्थियों के साथ रूबरू होना चाहती है लेकिन मुझे यहां पर विद्यार्थी नजर नही आ रहे है। विद्यार्थी कहा पर है यहां पर तो फैक्लेटी के सदस्य ही नजर आ रहे है। इतना ही नही मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि विद्यार्थी नर्सरी से लेकर विश्वविद्यालय में पढ़ाई करता है। विश्वविद्यालय पढ़ाई का आखिरी मुकाम होता है। यह विश्वविद्यालय ही होते है जिनमें राजनीति के लिए जगह होती है विश्वविद्यालयों से राजनेता पैदा होते है। विद्यार्थियों को राजनीति की इजाजत मिलनी चाहिए लेकिन इसमें धर्म या कट्टरवाद शामिल नही होना चाहिए।