आखिर कब होगा जनलोकपाल बिल पास? आज भी नहीं मिली सफलता

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नई दिल्ली। आप के मंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को कहा कि आज कैबिनेट की बैठक में जनलोकपाल बिल पास नहीं हो पाया। अब इसपर अगली बैठक सोमवार को होगी। सरकार इसके लिए 13 से 16 फरवरी तक विशेष सत्र बुलाएगी। 16 फरवरी को इंदिरा गांधी स्टेडियम में सत्र का आयोजन होगा, जिसमें दिल्ली की आम जनता को भी शामिल होने का मौका मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि सूबे की आम आदमी पार्टी सरकार के बहुचर्चित जन लोकपाल बिल को लेकर सरकार के कुछ महकमों ने गंभीर आपत्तियां दर्ज कराई हैं। यह दीगर बात है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किसी भी कीमत पर इसे शुक्रवार को हो रही दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी देने पर अड़े थे और इसकी पूरी संभावना थी कि मंत्रिमंडल इसे मंजूरी भी दे देगा।

उच्च्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि जन लोकपाल बिल को लेकर सरकार ने विधि व न्याय विभाग तथा गृह विभाग से उनकी राय मांगी थी। विधि व न्याय विभाग की राय में बिल के कई प्रावधानों को लागू किए जाने से पहले केंद्र की मंजूरी जरूरी है। सूत्रों ने बताया कि गृह विभाग ने तो इस बिल के करीब डेढ़ दर्जन प्रावधानों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विभाग ने कहा है कि लोकपाल को यह अधिकार दिया गया है कि वह भ्रष्टाचार के मामलों में जेल की सजा भी सुना सकेगा। यह इसलिए गलत है क्योंकि लोकपाल या लोकायुक्त अदालत नहीं है। दूसरी ओर एक ही व्यक्ति को जांच करने, सुनवाई करने तथा सजा सुनाने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। विभाग ने कहा है कि एक ही सजा के लिए कनिष्ठ अधिकारियों की अपेक्षा वरिष्ठ अधिकारियों को अधिक सजा देने का प्रावधान संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है।

सरकार को दी गई नसीहत में यह भी कहा गया है कि जब दिल्ली पुलिस और दिल्ली विकास प्राधिकरण दिल्ली सरकार के तहत आते ही नहीं, तो इनको दिल्ली सरकार के जन लोकपाल बिल के तहत लाने का क्या औचित्य है। गृह विभाग ने बिल के सेक्शन 22(2) को लेकर कहा है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) तथा दिल्ली-निकोबार आइलैंड सिविल सर्विसेज (दानिक्स) कैडर के अधिकारियों को प्रस्तावित कानून के तहत लाए जाने से पहले यह देखना जरूरी है कि केंद्र सरकार पहले ही लोकपाल बिल पास कर चुकी है।

सरकार को यह नसीहत भी दी गई है कि लोकपाल के अध्यक्ष तथा सदस्यों का कार्यकाल पांच साल से अधिक नहीं होना चाहिए तथा इनका वेतनमान भी सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के वेतनमान के बराबर ही होना चाहिए। यह भी कहा गया है कि जब लोकपाल के अध्यक्ष व इसके सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति करेंगे, तो इन्हें पद से हटाने का अधिकार भला उपराज्यपाल को कैसे दिया जा सकता है।