बिहार में महागठबंधन महज 12 घंटे के अंदर पूरी तरह से तार तार हो गया. बुधवार दोपहर को एक तरफ जहां हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी ने 2 सीटों पर आरजेडी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया, वहीं शाम होते-होते कांग्रेस ने भी सभी पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला करके राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को बड़ा झटका दे दिया है.
बिहार कांग्रेस चुनाव समिति की बुधवार शाम को पटना में बैठक हुई जिसका नेतृत्व प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने किया. 3 घंटे तक चली इस मैराथन बैठक के बाद फैसला लिया गया कि कांग्रेस आगामी उप चुनाव अकेले लड़ेगी और सभी 5 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. इन पांचों सीटों पर उम्मीदवारों का नाम भी तय हो गया है और अंतिम निर्णय के लिए केंद्रीय कांग्रेस हाईकमान को भेज दिया गया है.
कांग्रेस के प्रभारी सचिव वीरेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि कांग्रेस ने पांचों सीट पर एक पैनल तैयार किया है. कांग्रेस हमेशा से ही ड्राइविंग सीट पर रही है और आगे भी रहेगी. पांचों सीट पर उम्मीदवार के नाम पर अंतिम फैसला आलाकमान लेगा.
21 अक्टूबर को सिमरी बख्तियारपुर, बेलहर, नाथनगर, घरौंदा और किशनगंज में उपचुनाव होने हैं. महागठबंधन के सबसे बड़े दल आरजेडी ने पहले ही 5 में से 4 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी और सभी अपने उम्मीदवारों को पार्टी का सिंबल भी बांट दिया है. आरजेडी ने किशनगंज सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी.
बताया जा रहा है कि आरजेडी के इस एकतरफा फैसले से कांग्रेस काफी नाराज थी और बुधवार को हुई इस बैठक में एकला चलो की रणनीति पर आगे बढ़ने का फैसला लिया गया है. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी पहले नाथनगर सीट पर चुनाव लड़ने का दावा पेश किया था, मगर जब आरजेडी ने इस सीट से उम्मीदवार राबिया खातून के नाम की घोषणा कर दी तो बुधवार को आरजेडी उम्मीदवार के खिलाफ हम ने भी उम्मीदवार अजय राय उतारने का ऐलान कर दिया.
इसी कड़ी में सिमरी बख्तियारपुर सीट पर भी विकासशील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश साहनी ने अपनी पार्टी का दावा ठोका था मगर जब यहां पर भी आरजेडी ने अपने उम्मीदवार जफर आलम की घोषणा कर दी तो बुधवार को विकासशील इंसान पार्टी ने भी आरजेडी उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार मिथिलेश यादव को खड़ा करने का ऐलान कर दिया.
गौरतलब है बिहार उपचुनाव को लेकर कांग्रेस ने बड़ा फैसला लिया है जिससे एक बात तो साफ हो गई है कि महागठबंधन भले ही औपचारिक रूप से टूटा नहीं है मगर इसमें पूरी तरीके से बिखराव देखा जा सकता है.