दिल्ली में जन लोकपाल बिल पास नहीं हो सकता. कानूनी विशेपज्ञों की माने तो राज्य सरकार बिना केन्द्र सरकार की मंजूरी के कोई बिल पास कर ही नहीं सकती.
केजरीवाल भले ही रामलीला मैदान में जन लोकपाल बिल बनाने की बात कर रहे हों, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा करना सम्भव नहीं होगा क्योंकि दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश है. दिल्ली को अभी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला है. केन्द्र शासित प्रदेशों में केन्द्र सरकार का राज चलता है.
कानूनी विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है, ‘दिल्ली विधानसभा अगर कोई कानून बनाती है और वैसा ही कानून संसद बनाती है और अगर दोनों ही कानून एक दूसरे से अलग हैं, तो ऐसे में विधानसभा का बनाया कानून निरस्त हो जाएगा और संसद का बनाया कानून रह जाएगा.’
लोकपाल बिल संसद में पहले ही पास हो चुका है. ऐसे में केजरीवाल की सरकार अगर जन लोकपाल बिल बनाती है तो वो लागू होने से पहले ही गिर जाएगा. ऐसे में केजरीवाल के पास लोकायुक्त को दुरुस्त करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. लेकिन कानूनी विशेषज्ञों की मानें तो उसमें भी अड़चनें कम नहीं हैं. सुभाष कश्यप के अनुसार, ‘लोकायुक्त कानून में बदलाव के लिए ये विधानसभा से उपराज्यपाल के पास जाएगा. वो हां भी कर सकते हैं और ना भी, सरकार के पास पुर्नविचार के लिए भी भेज सकते हैं या फिर राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं.’
पूरे देश में जिन-जिन राज्यों में लोकपाल हैं वहां न तो उनके पास न्यायिक अधिकार हैं और न ही प्रशासनिक अधिकार हैं. यानी वो सिर्फ सलाह दे सकते हैं सजा नहीं.