चीन की चेतावनी के बाद भारत ने रोक दिया अपना युद्धाभ्‍यास

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नई दिल्ली । पिछले महीने लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ से पैदा हुए हालात के बीच भारत ने अमेरिका और जापान के साथ होने वाले नौसेना अभ्‍यास से कदम पीछे खींच लिए हैं। यह अभ्‍यास गुआम द्वीप में होना था। 

अमेरिका और जापान के नेवी अफसरों ने त्रिपक्षीय युद्धाभ्‍यास के सिलसिले में बातचीत के लिए पिछले महीने भारत का दौरा किया।
लेकिन चीन ने कहा कि भारत, अमेरिका और जापान के संयुक्‍त नौसैनिक युद्धाभ्‍यास का मकसद इस इलाके में अपना दबदबा कायम करना है। ड्रैगन ने इन देशों को खुलेआम चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे अभ्‍यास नहीं होने चाहिए।
चीन की ऐसी प्रतिक्रिया को देखते हुए भारतीय रक्षा मंत्रालय ने पहले जापान के ओकिनावा द्वीप में अभ्‍यास किए जाने की शर्त रखी। फिर भारत ने कहा कि चीनी घुसपैठ की वजह से पैदा हुए तनाव के चलते इस युद्धाभ्‍यास को द्विपक्षीय ही रखा जाना चाहिए। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने इस कवायद से अपने पैर पूरी तरह पीछे खींच लिए।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह बेहद हैरानी की बात है कि अमेरिका और जापान ने नौसैनिक अभ्‍यास के बारे में भारत की जमीन पर चर्चा की लेकिन भारत इसका बहिष्‍कार करने में जुटा रहा।’
इस बीच, ऐसी भी खबर आ रही है कि चीन की सेना भारत में 10 अप्रैल को ही घुस चुकी थी जबकि सरकार बता रही है कि 15 अप्रैल को घुसपैठ हुई थी। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्‍या भारत सरकार को पांच दिन तक चीनी घुसपैठ का पता ही नहीं चला?
इस बीच, ऐसी खबर भी आ रही है कि चीन की सेना लद्दाख के दौलत बेग ओल्‍डी इलाके में 10 अप्रैल को ही घुस गई थी और अपने तंबू गाड़ दिए थे। भारतीय इलाके में चीनी सेना के तंबू पहली बार 16 अप्रैल को दिखे थे, ऐसे में कहा गया कि चीनी सैनिक 15 अप्रैल को भारतीय सीमा में घुसे थे।
चीन के साथ लगती वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सेना की निगरानी क्षमता पर अध्‍ययन करने वाले चाइना स्‍टडी ग्रुप भी अभी इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ पाई है कि चीन के सैनिक देसपांग इलाके में आखिर किस तारीख को घुसे थे।
 
पिछले दिनों जब चीनी घुसपैठ का मसला सुर्खियों में था उस वक्‍त स्‍टडी ग्रुप के सदस्‍यों की चार बार बैठक हुई थी। इस ग्रुप में रक्षा, गृह, विदेश सचिव, खुफिया प्रमुख, डीजीएमओ और वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ शामिल हैं।