‘ड्रैगन’ के दांत खट्टे करने को भारत ने कमर कसी

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इमालवा – नई दिल्‍ली । समंदर में चीन के बढ़ते दबदबे के मद्देनजर भारत ने भी बंगाल की खाड़ी में ‘ड्रैगन’ के दांत खट्टे करने के लिए अपनी महत्वाकांक्षी योजना को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। भारत ने आंध्र प्रदेश के रामबिली नाम की जगह से लगे हिंद महासागर के तट पर ‘प्रोजेक्ट वर्षा’ को हरी झंडी दे दी है। यह इलाका भारतीय नौसेना के पूर्वी कमान के विशाखापट्टनम में मौजूद हेडक्वॉर्टर से 50 किलोमीटर की दूरी पर है। प्रोजेक्ट वर्षा विशाखापट्टनम बंदरगाह के बोझ को भी हल्का करेगा। 

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय में पिछले कुछ महीनों में कई दौर की बैठकों के बाद प्रोजेक्ट में तेजी लाने का फैसला लिया गया। ‘प्रोजेक्ट वर्षा’ को चीन के हैनन प्रांत के दक्षिणी छोर यालोंग पर बने नौसैनिक अड्डे के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। चीन के इस नौसैनिक अड्डे की खासियत यह है कि यहां से ऐटमी हथियारों से लैस पनडुब्बियां हिंद महासागर में उतारी जा सकती हैं, जिनके जरिए भारत जैसे देशों को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है।
रामबिली में सीक्रेट मिशन के लिए सरकार भूमि अधिग्रहण और बुनियादी ढांचे के विकास का काम कई सालों से चल रहा है। लेकिन पीएमओ से हरी झंडी मिलने के बाद अब इस इलाके में सुरंग, घाट, डिपो, वर्कशॉप और ठहरने के लिए कैंपस बनाए जाएंगे। इसके अलावा प्रोजेक्ट वर्षा करीब 20 वर्ग किलोमीटर में इलाके में बनाया जाएगा और इसके लिए और अधिक जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। पूरे प्रोजेक्ट के लिए बड़े बजट की जरुरत होगी, जिसकी योजना अभी से बनाई जा रही है।
‘प्रोजेक्ट वर्षा’ के तहत बंगाल की खाड़ी में नौसेना की तादाद बढ़ाने के अलावा नए जंगी जहाज, जंगी विमान और स्पाई ड्रोन तैयार किए जाएंगे जिनका मकसद चीन को मुंहतोड़ जवाब देना होगा। हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के पीछे मकसद भारतीय समुद्री सीमा की रक्षा के अलावा समंदर में कारोबारी रास्ते पर नजर रखना भी है। अंडमान द्वीप समूह के आगे ताकत बढ़ाने का सामरिक और रणनीतिक महत्व है। इससे चीन को कड़ा संदेश मिलेगा।
परमाणु हथियार से लैस पनडुब्बी के मामले में चीन को जवाब देने के लिए 6,000 टन वजन वाले आईएनएस अरिहंत को जल्द ही विशाखापट्टनम के नजदीक समंदर में उतारा जाएगा। आईएनएस अरिहंत और उसके बाद परमाणु हथियार से लैस तीन और पनडुब्बियों को प्रोजेक्ट वर्षा के तहत रामबिली के नजदीक समुद्र में रखे जाने की योजना है। इन पनडुब्बियों की यह खासियत भी होगी कि इनमें बैलिस्टिक मिसाइल दागने की भी क्षमता होगी।
‘प्रोजेक्ट वर्षा’ से पहले भारत ने प्रोजेक्ट सीबर्ड को तैयार किया है। यह प्रोजेक्ट कर्नाटक के तटीय इलाके करवार में अरब सागर में मौजूद है। यह प्रोजेक्ट भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर पाकिस्तान को जवाब देने के लिए तैयार किया जा रहा है। करवार में प्रोजेक्ट सीबर्ड मुंबई बंदरगाह पर ट्रैफिक की समस्या को भी हल करेगा। करवार में पहले फेज के बाद 11 बड़े जंगी जहाज और 10 यार्ड क्राफ्ट ठहर सकते हैं। पहले फेज में करीब 2,629 करोड़ रुपये का खर्च आने की उम्मीद है। करवार में आईएनएस विक्रमादित्य और छह फ्रेंच स्कॉर्पीन पनडुब्बियां तैनात की जाएंगी।