अमेरिका के दो वरिष्ठ विद्वानों ने कहा है कि बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की स्थिति में भारत-अमेरिका संबंधों में कोई बुनियादी बदलाव नहीं होगा, बल्कि इसमें और मजबूती आ सकती है.
‘कार्नेजी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ नामक संस्था के एश्ले टेलिस ने एक सम्मेलन के दौरान कहा, ‘मेरा मानना है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने से रिश्तों में कोई बुनियादी बदलाव नहीं होने वाला है. इस बात की ज्यादा संभावना है कि आज की तुलना में उस समय रिश्ते ज्यादा प्रगाढ़ हों.’
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टेलिस ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में काफी बदलाव आया था. उन्होंने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो वह इस परंपरा को कायम रखेगी, क्योंकि अमेरिका को लेकर बीजेपी का नजरिया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह ही अनुकूल है.’
कार्नेजी से जुड़े विद्वान मिलन वैष्णव ने कहा कि यूपीए सरकार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अमेरिका दौरे से अपने और बीजेपी के बीच यह अंतर दिखाने की उम्मीद करती है क्योंकि उनके प्रधानमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार इस देश में प्रवेश भी नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, ‘अगर अगले साल मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो मेरा मानना है कि उन्हें अमेरिका आने की इजाजत मिल जाएगी. मैं समझता हूं कि उस वक्त भी अमेरिका सामान्य द्विपक्षीय संबंध कायम रखेगा.’ गुजरात दंगों के कारण अमेरिका मोदी को वीजा नहीं देने की नीति पर अमल कर रहा है.