चीन के प्रधानमंत्री आज भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। हाल में लद्दाख में हुई चीनी घुसपैठ के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट के मद्देनजर इस यात्रा को कई मायनों में बेहद अहम माना जा रहा है।
भारत दौरे पर आ रहे चीनी प्रधानमंत्री ली कु-चि-आंग की यात्रा कई मायनों में बेहद अहम है। इस यात्रा का मकसद भारत-चीन रिश्तों को सुधारना तो है ही दोनों देशों क…
चीन के प्रधानमंत्री आज भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। हाल में लद्दाख में हुई चीनी घुसपैठ के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट के मद्देनजर इस यात्रा को कई मायनों में बेहद अहम माना जा रहा है।
भारत दौरे पर आ रहे चीनी प्रधानमंत्री ली कु-चि-आंग की यात्रा कई मायनों में बेहद अहम है। इस यात्रा का मकसद भारत-चीन रिश्तों को सुधारना तो है ही दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी बढ़ाने पर भी जोर देना है।
यकीनन दोनों पक्ष तमाम मुद्दो पर आपसी सहयोग बढ़ाने, राजनीतिक विश्वास कायम करने, और व्यापार को बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। साथ ही दोनों देशों के लोगों के बीच आदान-प्रदान, समन्वय, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों पर भी बातचीत होगी हालांकि जानकार कहते हैं कि भारत को बहुत उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
हालांकि लद्दाख में हुई चीनी घुसपैठ के मामले ने दोनों देशों के आपसी रिश्ते को फीका जरूर कर दिया है लेकिन चीनी प्रधानमंत्री के इस दौरे को रिश्तों की नई पहल के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत चीन के साथ बेहतर संबंध रखना चाहता है। भारत अक्सर अपनी बैठकों में इस बात का इशारा करता रहा है लेकिन हाल में लद्दाख में दोनों देशों के सेनाओं के आमने-सामने होने के बाद चीन की मंशा सामने आ गई। ऐसे में क्या चीनी प्रधानमंत्री की ये यात्रा वाकई दोनों देशों के रिश्तों में बेहतरी की नई पहल साबित होगी?
भारत-चीन सीमा विवाद पर दोनों देशों के बीच अब तक कुल 15 दौर की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन कुछ खास हासिल नहीं हुआ। भारत चाहता है कि सीमा विवाद जल्द-से जल्द सुलझे। इसके संकेत डरबन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीन के राष्ट्रपति शी-जिन-पिंग की मुलाकात के दौरान भी मिले।
लद्दाख में हुए चीनी घुसपैठ के मामले को फिलहाल के लिए सुलझा तो लिया गया लेकिन ये समझौता भारत के लिए कितना फायदेमंद रहा इस पर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं।
बहरहाल इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि चीन अपनी बात मनवाने के लिए भारत पर दबाव भी बना सकता है और इसकी वजह ये है कि सीमा विवाद को लेकर चीन की कई मांगें ऐसी है कि जिसे मानना भारत के लिए मुश्किल होगा।