मनरेगा ने गरीबों को फायदा पहुंचाया हो या नहीं, लेकिन भ्रष्टाचारियों की कमाई का रास्ता जरूर खोल दिया है। मध्यप्रदेश के रीवा से आई सनासनीखेज खबर से खुलासा हुआ है। यहां मनरेगा के मजदूरों की लिस्ट में कई राज्यों के मुख्यमंत्री और कई दिग्गज लोग शामिल हैं यानी मजदूरों के नाम और किसी की तस्वीर लगा कर दलालों ने करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया।
गरीबों को रोजगार क…
मनरेगा ने गरीबों को फायदा पहुंचाया हो या नहीं, लेकिन भ्रष्टाचारियों की कमाई का रास्ता जरूर खोल दिया है। मध्यप्रदेश के रीवा से आई सनासनीखेज खबर से खुलासा हुआ है। यहां मनरेगा के मजदूरों की लिस्ट में कई राज्यों के मुख्यमंत्री और कई दिग्गज लोग शामिल हैं यानी मजदूरों के नाम और किसी की तस्वीर लगा कर दलालों ने करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया।
गरीबों को रोजगार का अधिकार देने वाले केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना भ्रष्टाचार के आगे कैसे बेदम हो रही है, इसका नजारा आप मध्यप्रदेश के रीवा में देक सकते हैं। शायद आपको भरोसा ना हो, लेकिन रीवा में बने मनरेगा के स्मार्टकार्ड बता रहे हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी रीवा में मनरेगा के तहत मजदूरी कर रहे हैं। इतना ही नहीं पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह का भी यहां जॉब कार्ड है। राजनेता विद्याचरण शुक्ल और उद्धव ठाकरे के नाम से भी यहां मनरेगा मजदूर के लिए जॉब कार्ड बना है।
मनरेगा के ये जॉब कार्ड होश उड़ाने वाले हैं, लेकिन भ्रष्टाचारियों का क्या, तस्वीर नेता की और नाम किसी मजदूर का। ये कारनाम एक जॉब कार्ड बनाने वाली एक निजी एजेंसी का है।
इस घोटाले को लेकर संदेह के घेरे में फीनो नाम की एक निजी एजेंसी है। करोडों रुपए का फर्जीवाड़ा हो गया, लेकिन रीवा के जिस यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के जरिए इसका भुगतान हुआ, उसे कानों-कान इसकी खबर नहीं हुई। अब बैंक के अधिकारी इस मामले में सारा दोष फीनो एजेंसी पर डाल कर पल्ला झाड़ते नजर आए। अधिकारियों को कहना है कि उनके पास जॉब कार्ड मुंबई से बनकर आते हैं, उनका इसमें कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि बैंक अधिकारियों का ये तर्क गले से नीचे नहीं उतरता। लेकिन यह साफ है कि मनरेगा योजना पर पलीता लगाते हुए ग्रामीण विकास और फिनो के एजेंटो ने जमकर राशि डकारी है। अब जब यह महा घोटाला सामने आया है, तो प्रशासन ने भी चुप्पी साध ली है।