धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को विश्व प्रसिद्ध महाबलीपुरम मंदिरों को गाइड बनकर दिखाया और अपनी मेहमाननवाजी से उनका दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ये प्राचीन कलाकृतियां तमिल वास्तुकला का अनुपम सांस्कृतिक उदाहरण हैं और सदियों से लोगों को आकर्षित कर रही हैं।
यूनेस्को के अनुसार ये प्राचीन शिल्प कलाकृतियां पल्लव राजाओं के शासन काल में कोरोमंडल तट पर सातवीं और आठवीं सदी के दौरान एक विशाल शिलाखंड को काटकर बनाई गई थी। मोदी इस दौरान सफेद कमीज और धोती पहने हुए थे और अंगवस्त्र डाल रखा था। उन्होंने जिनपिंग का ममल्लापुरम में अर्जुन की तपोभूमि में स्वागत किया। इस दौरान दोनों नेता काफी सहज नजर आए। लगभग एक घंटे तक चली इस ‘वाक द टॉक’ में दोनों नेताओं ने मशहूर गुफाओं को देखा।
दोनों नेताओं ने शुरू में काफी देर तक हाथ मिलाए रखा और उत्साह भरी बातचीत के बाद वे शोर टेंपल और पंच रथों से होकर गुजरे। शायद किसी भी देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को यह सौभाग्य हासिल नहीं हुआ होगा कि एक देश का प्रधानमंत्री उनका गाइड बनकर मार्गदर्शन करे। जिनपिंग के स्वागत में मोदी ने सदियों से चली आ रही मेहमान नवाजी की परंपरा का निर्वहन किया है।
काले और सफेद रंग का सूट पहने जिनपिंग वाकई इतने सौभाग्यशाली है कि आज मोदी ने उनके लिए एक गाइड की भूमिका निभाई और इन प्राचीन शिलाखंडों से निर्मित ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जानकारी दी। मोदी ने बाद में उन्हें नारियल पानी भेंट किया और कुछ समय तक दोनों नेताओं ने फोटोग्राफ खिंचवाए तथा कृष्ण के मक्खन के प्रतीक विशाल शिलाखंड के सामने अपने हाथ उठाकर एकता का संकेत दिया।
कृष्ण के मक्खन का प्रतीक यह विशाल शिलाखंड दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि यह अभी लुढ़क जाएगा, मगर 250 टन वजनी यह गोल शिलाखंड युगों से यहीं स्थिर है। जिनपिंग की यात्रा को देखते हुए यहां के सभी पुरास्थलों को सजाया गया था और उन पर लाइटों की खास व्यवस्था की गई थी। दोनों नेताओं ने शोर टेंपल और पंच रथ का दौरा किया। मोदी की ओर से आयोजित रात्रि भोज के लिए रवाना होने से पहले जिनपिंग ने मशहूर कला क्षेत्र समूह के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया।