पाकिस्तान में कैदियों के बर्बर हमले में गंभीर रूप से घायल हुए भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह के सिर में लगी चोट की वजह से बहुत ज्यादा अंदरूनी रक्तस्राव हुआ था, जो उनकी मौत का मुख्य कारण बना।
घायल सरबजीत की 2 मई को लाहौल के जिन्ना अस्पताल में मौत हो गई थी, जिस मेडिकल बोर्ड ने सरबजीत के शव की ऑटोप्सी की थी उसके एक सदस्य ने बताया ऐसा लगता है कि सरबजीत सिंह…
पाकिस्तान में कैदियों के बर्बर हमले में गंभीर रूप से घायल हुए भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह के सिर में लगी चोट की वजह से बहुत ज्यादा अंदरूनी रक्तस्राव हुआ था, जो उनकी मौत का मुख्य कारण बना।
घायल सरबजीत की 2 मई को लाहौल के जिन्ना अस्पताल में मौत हो गई थी, जिस मेडिकल बोर्ड ने सरबजीत के शव की ऑटोप्सी की थी उसके एक सदस्य ने बताया ऐसा लगता है कि सरबजीत सिंह के सिर के ऊपरी हिस्से में लगी पांच सेमी चौड़ी चोट उसके लिए जानलेवा साबित हुई। अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर इस सदस्य ने बताया कि बोर्ड को सरबजीत के चेहरे, गर्दन और हाथों में जो चोटें मिलीं वह मामूली थीं। बोर्ड ने प्लीहा, गुर्दे, जिगर, बड़ी आंत और मस्तिष्क के कुछ हिस्सों के नमूने फॉरेन्सिक विश्लेषण के लिए भेजे हैं।
कोट लखपत जेल में बंद 49 वर्षीय सरबजीत की लाहौर के जिन्ना अस्पताल में गुरुवार को मौत हो गई थी। मौत से 6 दिन पहले उन पर जेल में उनकी बैरक के अंदर कैदियों ने बर्बरतापूर्वक हमला किया था, जिससे सरबजीत गंभीर रूप से घायल हो गए थे। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना था। अधिकारियों ने कहा कि पंजाब फॉरेन्सिक साइंस एजेंसी से परीक्षण के नतीजे मिलने के बाद ऑटोप्सी की विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी।
सरबजीत को पंजाब प्रांत में वर्ष 1990 में हुए बम विस्फोटों में कथित संलिप्तता का दोषी ठहराया गया था। इन विस्फोटों में 14 लोगों की मौत हो गई थी। उनकी दया याचिकाएं अदालतों और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने खारिज कर दी थीं। उनके परिवार का कहना था कि सरबजीत गलत पहचान का शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा था कि सरबजीत शराब के नशे में भूलवश सीमा के उस पार चले गये थे।
बता दें कि पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी सरबजीत के मामले को फिर से खोलने का आह्वान किया था। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने गुरुवार को कहा था कि जेल के प्रहरियों और प्राधिकारियों के सहयोग और उनकी जानकारी के बिना सरबजीत पर जेल में जानलेवा हमला नहीं किया जा सकता था।