सहारा ग्रुप ने इंडियन प्रीमियर लीग से नाता तोड़ लिया है। पुणे वैरियर्स इंडिया पिछले दो सत्रों से आईपीएल में खेल रही है, लेकिन फ्रेंचाईजी फीस से जुड़े अनसुलझे विवादों के चलते सहारा ग्रुप फ्रेंचाईजी फीस तय समय में नहीं जमा कर सकी, जिससे बीसीसीआई ने सहारा ग्रुप द्वारा जमा करवाए बैंक गांरटी के पैसे भुनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
उल्लेखनीय है आईपीएल-6 क…
सहारा ग्रुप ने इंडियन प्रीमियर लीग से नाता तोड़ लिया है। पुणे वैरियर्स इंडिया पिछले दो सत्रों से आईपीएल में खेल रही है, लेकिन फ्रेंचाईजी फीस से जुड़े अनसुलझे विवादों के चलते सहारा ग्रुप फ्रेंचाईजी फीस तय समय में नहीं जमा कर सकी, जिससे बीसीसीआई ने सहारा ग्रुप द्वारा जमा करवाए बैंक गांरटी के पैसे भुनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
उल्लेखनीय है आईपीएल-6 का सत्र बेहद ही परेशानियों से जूझ रहा है। एक ओर जहां स्पॉट फिक्सिंग में 3 खिलाड़ियों के नाम शामिल होने से बीसीसीआई की किरकिरी हो रही है, तो पुणे वैरियर्स इंडिया के मालिक सहारा ग्रुप ने आईपीएल से नाता तोड़ लिया है। यही नहीं, सहारा नेशनल क्रिकेट टीम की स्पांस्सरशिप भी विदड्रा करने की सोच रही है।
दरअसल, पुणे वारियर्स इंडिया को मौजूदा वर्ष के लिए फ्रेंचाइजी की पूरी फीस देने में असफल रही, जिसके कारण बीसीसीआई ने बैंक गांरटी भुनाना शुरू कर दिया है, जिससे सहारा ग्रुप नाराज हो गया और आईपीएल छोड़ने का मन बना लिया। इससे अब आगामी वर्षों में टीम के लुभावनी लीग के भविष्य पर बादल छा गए हैं।
बीसीसीआई के सीनियर अधिकारी ने कहा, हां, बीसीसीआई ने मौजूदा वर्ष के लिये पुणे वारियर्स फ्रेंचाइजी की फीस हासिल करने के लिए बैंक गारंटी भुनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सहारा ने 10 साल के लिए रिकार्ड 1702 करोड़ रुपए में पुणे फ्रेंचाइजी खरीदी थी, लेकिन अभी उनका फ्रेंचाइजी फीस कम करने के संबंध में विवाद चल रहा है, क्योंकि शुरू में मैंचों की संख्या 94 थी, जिन्हें बाद में कम करके 74 मैच कर दिया गया। यह मुद्दा अब तक नहीं सुलझा है।
उन्होंने कहा, इस साल जनवरी में सहारा ने इस साल की फ्रंेचाइजी फीस का करीब 20 फीसदी भुगतान कर दिया, जो करीब 170 करोड़ रुपए था। बीसीसीआई को बताया गया कि वे बची हुई राशि 19 मई तक दे देंगे लेकिन वे इसमें असफल रहे। आईपीएल की संचालन परिषद ने इसके बाद बैंक गांरटी को भुनाने का फैसला किया।
हालांकि बीसीसीआई के बैंक गांरटी भुनाने के फैसले से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या फ्रेंचाइजी अगले साल इंडियन प्रीमियर लीग के सातवें चरण का हिस्सा बन पायेगी या नहीं।
बीसीसीआई के एक अन्य सीनियर अधिकारी ने सूचित किया, यह कहना जल्दबाजी होगी कि अगले साल क्या होगा लेकिन हां, हालांकि चीजें ठीक नजर नहीं आ रही हैं। जब बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अजय शिरके से बैंक गारंटी की राशि की पुष्टि करने के लिये संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई सूचना देने से इनकार कर दया।
गौरतलब है यह पहली बार नहीं है जब बीसीसीआई ने फ्रेंचाइजी के फीस देने में असफल रहने पर बैंक गारंटी भुनायी है। कोच्चि टस्कर्स केरल और डेक्कन चार्जर्स को फीस देने में असफल रहने पर भंग कर दिया गया था।