गोवा में रविवार को 8वां ब्रिक्स सम्मेलन संपन्न हुआ। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए उसे आतंकवाद की ‘जन्मभूमि’ करार दिया। हालांकि चीन के कारण मोदी की रणनीति पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाई।
आतंकवाद का मुद्दा ठंडे बस्ते में
चीन की मौजूदगी में सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा ठंडे बस्ते में ही जाना था, लेकिन भारत को उम्मीद थी कि भारत में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आंतकी संगठनों का जिक्र किया जाएगा। समिट सेक्रटरी (इकनॉमिक रिलेशंस) और इंडिया ब्रिक्स टीम की अगुवाई कर रहे अमर सिन्हा ने बताया कि घोषणापत्र में ब्रिक्स देशों के बीच इन आतंकी संगठनों के जिक्र को लेकर आम सहमति नहीं बन सकी।
उरी आतंकी हमले की निंदा
गोवा घोषणा पत्र में सीमा पार आतंकवाद का जिक्र नहीं किया गया, लेकिन ब्रिक्स के 4 अन्य सदस्यों- रूस, चीन, ब्राजील और साउथ अफ्रीका ने कड़े शब्दों में उरी आतंकी हमले की निंदा की। इन देशों ने द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर आतंकवाद के खिलाफ पार्टनरशिप को मजबूत करने पर सहमति जताई।
अातंक के मामले पर भारत
अमर सिन्हा ने माना कि गोवा घोषणा पत्र में सीमा पार आतंकवाद जुमले और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी गुटों को शामिल करने पर सहमति नहीं बन सकी क्योंकि साउथ अफ्रीका और ब्राजील इस तरह की आतंकवादी गतिविधियों को नहीं झेल रहे हैं। बहरहाल, उनका कहना था कि भारत घोषणा पत्र में आतंक के बढ़ते खतरे के कॉन्सेप्ट को शामिल करवाने में सफल रहा।