सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा है कि सांसद या विधायक रहते हुए अगर किसी नेता को सजा होती है तो उसकी संसद या विधानसभा की सदस्यता खत्म हो जाएगी। 2 साल से ज्यादा सजा हुई तो तुरंत कुर्सी चली जाएगी। यह फैसला सांसद और विधायक पर आज ही से लागू होगा।
एक जनहित याचिका में मांग की गई है कि अगर कोई सांसद या विधायक को किसी अदालत से सजा मिलती है तो…
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा है कि सांसद या विधायक रहते हुए अगर किसी नेता को सजा होती है तो उसकी संसद या विधानसभा की सदस्यता खत्म हो जाएगी। 2 साल से ज्यादा सजा हुई तो तुरंत कुर्सी चली जाएगी। यह फैसला सांसद और विधायक पर आज ही से लागू होगा।
एक जनहित याचिका में मांग की गई है कि अगर कोई सांसद या विधायक को किसी अदालत से सजा मिलती है तो उसकी सदस्यता फौरन खत्म होनी चाहिए। कानून के मुताबिक अगर किसी भी सांसद या विधायक को सजा मिलती है तो उसे उस फैसले को चुनौती देने के लिए तीन महिने का वक्त दिया जाता है और उसकी सदस्यता तब तक बरकरार रहती है जब तक सुप्रीम कोर्ट उस पर अपना आखरी फैसला न सुना दे या फिर उनका कार्यकाल पूरा हो जाए। जबकी अगर कोई आम आदमी को दो साल से ज्यादा की सजा मिलती है तो उसे चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जाती। वो अपनी सजा काटने के छह साल बाद ही चुनाव लड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में अहम जनहित याचिका-नियम यह है कि किसी आम आदमी को अगर 2 साल की सजा हो जाती है तो अगले 2+6=8 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता। अगर सांसद और विधायक रहते हुए सजा होती है तो कार्यकाल पूरा करने देने की अनुमति है। हालांकि इसके बाद चुनाव लड़ने पर रोक लग जाती है। लेकिन याचिका है कि जैसे ही सजा मिल जाए तो पहले तुरंत इस्तीफा फिर सजा +6 साल चुनाव लड़ने पर रोक।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय से पहले ही दोषी ठहराने के फैसले के खिलाफ पहले ही अपील दायर करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि इससे प्रभावित नहीं होंगे। इसी के साथ कोर्ट ने आपराधिक मामले में दोषी ठहराये जाने के बावजूद निर्वाचित प्रतिनिधि को अयोग्यता से संरक्षण प्रदान करने वाला कानूनी प्रावधान निरस्त किया।