भारत ने जोर देते कहा है कि वह अफगान सरकार और तालिबान से एक जैसा व्यवहार नहीं करेगा. इसके साथ ही भारत ने यह भी दोहराया कि ऐतिहासिक सत्ता हस्तांतरण के समय अफगानिस्तान में शांति के समक्ष सबसे बड़ा खतरा जातीयता नहीं, बल्कि आतंकवाद है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी कार्यकारी प्रतिनिधि राजदूत भगवंत सिंह बिश्नोई ने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सहयोग मिशन पर सुरक्षा परिषद की चर्चा में कहा, ‘हम कभी भी अफगानिस्तान की सरकार के साथ कभी ऐसे व्यवहार को प्रोत्साहित नहीं करेंगे, जैसा कि पूर्व तालिबान शासन के साथ किया जाता था.’ बिश्नोई ने अफगान जनता और सरकार को एक ‘शांतिपूर्ण, बहुलतावादी, लोकतांत्रिक और समृद्ध’ देश बनाने के लिए भारत की ओर से मदद की ‘दृढ़’ प्रतिबद्धता पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, ‘उस अफगानिस्तान में भारत की कोई ‘निकास रणनीति’ नहीं है, जिसके साथ हमारे सैकड़ों सालों से सभ्यताओं के रिश्ते हैं.’
बिश्नोई ने कहा कि भारत का मानना है कि सुलह की प्रक्रिया ‘तय सीमाओं का सम्मान’ करते हुए ‘अफगानिस्तान के ही नेतृत्व, स्वामित्व और नियंत्रण’ के तहत होनी चाहिए. बिश्नोई ने कहा कि पूरे गुट-निरपेक्ष आंदोलन के सदस्य देशों ने ‘अफगान-नियंत्रित’ सुलह प्रक्रिया का हाल ही में समर्थन किया है.