पाकिस्‍तान चुनाव में पार्टियों का मुख्‍य मुद्दा ‘कश्‍मीर विवाद’

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पाकिस्‍तान में आज आम चुनाव हो रहे हैं। नवाज शरीफ की पीएमएलएन से लेकर इमरान खान की तहरीक ए इंसाफ और जरदारी की पीपीपी तीनों पार्टियां जोरशोर से मुल्क की मिल्कियत हासिल करने के लिए हर मुमकिन कोशिश में जुटी हैं।पूरी दुनिया की नजरें इन चुनावों पर टिकी हैं, लेकिन इनकी सबसे ज्यादा अहमियत हिंदुस्तान के लिए हैं, क्योंकि पड़ोसी मुल्क होने के नाते इन चुनावों… पाकिस्‍तान चुनाव में पार्टियों का मुख्‍य मुद्दा 'कश्‍मीर विवाद'

पाकिस्‍तान में आज आम चुनाव हो रहे हैं। नवाज शरीफ की पीएमएलएन से लेकर इमरान खान की तहरीक ए इंसाफ और जरदारी की पीपीपी तीनों पार्टियां जोरशोर से मुल्क की मिल्कियत हासिल करने के लिए हर मुमकिन कोशिश में जुटी हैं।पूरी दुनिया की नजरें इन चुनावों पर टिकी हैं, लेकिन इनकी सबसे ज्यादा अहमियत हिंदुस्तान के लिए हैं, क्योंकि पड़ोसी मुल्क होने के नाते इन चुनावों का सबसे ज्यादा असर इसी मुल्क के मुकद्दर पर होना है। चुनाव के बाद पाकिस्तान की भारत नीति में बड़ा बदलाव हो सकता है, तो किसके पिटारे में क्या है? भारत के लिए, कौन अपने चुनावी घोषणा पत्र में दे रहा है? भारत से संबंध सुधारने को तवज्जो, शेर यानी नवाज शरीफ भारत के लिए होंगे सही साबित या खान-ए-आजम बनेंगे नए रिश्तों के खैरख्वाह ये जानने के लिए इन पार्टियों के घोषणापत्र पर नजर डालना बेहद जरूरी है।सभी देशों के साथ शांतिपूर्ण तरीकों से अच्छे और सहयोगी संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से उन देशों के साथ संबंधों को सामान्य करने की नीति अपनाएंगे, जिनके साथ उनके मतभेद हैं। पार्टी ने आतंकवाद से जुड़ी भारत की चिंताओं का भी जिक्र किया है। पीएमएल-एन इकलौती ऐसी राजनैतिक पार्टी है जिसने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सुधारने की दिशा में ‘जल प्रबंधन’ को भी अपने एजेंडे में शामिल किया है। इस्लामाबाद जम्मू कश्मीर में कई जल परियोजनाओं का विरोध करता आया है।खास बात ये भी है कि नवाज शरीफ के पीएम रहते हुए ही साल 1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बस से लाहौर गए थे। जरदारी के नेतृत्व वाली पीपीपी भी अपने घोषणा पत्र में भारत के लिए एक नया पैगाम लेकर आई है। कई चुनौतियों का सामना कर रहे क्षेत्र में स्थिरता लाने और भरोसा बहाल करने के लिए सभी पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक, आर्थिक और सुरक्षात्मक संबंध होना जरूरी हैं। अपने इस विश्वास के चलते वो अफगानिस्तान, भारत, ईरान और चीन के साथ कूटनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने की योजना पर काम करेंगे।हालांकि पार्टी पहले से इस एजेंडे पर काम करती आई है लेकिन रिश्ते सुधरने के बजाय और बिगड़े हैं। इन सबसे जुदा तेवर अपनाते हुए खान-ए-आजम इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में मजबूत सुरक्षा व्यवस्था को खास तवज्जो देते हुए कश्मीर विवाद को पाकिस्तान के राष्ट्रीय हित का मूल मसला बताया है। साथ ही वो पाकिस्तान तालिबान की नीतियों का भी समर्थन करते रहे हैं।गौर करने वाली बात ये है कि कश्मीर मुद्दे का जिक्र तीनों ही पार्टियों के घोषणापत्र में किया गया है। चुनाव पाकिस्तान में हैं, लेकिन घोषणापत्र में हिंदुस्तान का खास तौर पर जिक्र है। कुल मिलाकर अब तक जो हालात उभरते हैं वो नवाज शरीफ को ही भारत के लिए मुफीद बनाते हैं। हालांकि कारगिल की लड़ाई इन्हीं की सरपरस्ती में अंजाम दी गई है।