विश्व से पोलियो जैसी भयंकर बीमारी को दूर करने का ख्वाब देखकर पहली पोलियो वैक्सीन बनाने वाले हिलेरी कोपरोवस्की का अमेरिका के फिलाडेल्फिया में निधन हो गया है। वह 96 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार थे।हिलेरी को पहली मुंह से देने वाली पोलियो की दवा का जनक कहा जाता है। उन्होंने ही उस पोलियो वैक्सीन का इजाद किया था जो मुंह से पांच साल तक के ब…
विश्व से पोलियो जैसी भयंकर बीमारी को दूर करने का ख्वाब देखकर पहली पोलियो वैक्सीन बनाने वाले हिलेरी कोपरोवस्की का अमेरिका के फिलाडेल्फिया में निधन हो गया है। वह 96 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार थे।हिलेरी को पहली मुंह से देने वाली पोलियो की दवा का जनक कहा जाता है। उन्होंने ही उस पोलियो वैक्सीन का इजाद किया था जो मुंह से पांच साल तक के बच्चों को पिलाई जाती है। सन् 1950 में हिलेरी द्वारा किए गए चिकित्सकीय परीक्षण में पहली बार दिखाया था कि पोलियो के लिए टीकाकरण संभव है। इसके बाद उन्होंने अपनी दवा को पूरे विश्व के सामने पेश किया था, जो लाखों बच्चों के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं हुर्ह।हालांकि हिलेरी को अपने सहयोगी शोधकर्ताओं जोनास साल्क और अलबर्ट साबिन जैसी लोकप्रियता और ख्याति नहीं मिली, लेकिन पोलियो की वैक्सीन का इजाद कर उन्होंने अपना नाम हमेशा-हमेशा के लिए विश्व के इतिहास में दर्ज कर लिया है।हिलेरी के बारे में एक हैरान करने वाली है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं कि वह पोलैंड से हिटलर के हमले की वजह से भागे थे। कई सालों तक इधर-उधर भागने के बाद वे न्यूयॉर्क में पर्ल रिवर के पास बस गए। फिर शुरू हुई पोलियो को जड़ से मिटाने की मुहिम जिसकी वजह से आज वह मरने के बाद याद किए जा रहे हैं।