परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में नए देशों की सदस्यता को लेकर एक मसौदा तैयार किया गया है. इस मसौदे में जहां भारत को एनएसजी में शामिल करने की बात कही गई है, वहीं पाकिस्तान को इससे बाहर रखने की वकालत की गई है. अमेरिका स्थित हथियारों के नियंत्रण संबंधी संगठन आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन (एसीए) ने इस बात की जानकारी दी है.
क्या है नया मसौदा
एसीए के मुताबिक,पिछले हफ्ते अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया था कि एनएसजी के पूर्व चेयरमैन राफेल मेरियानो ग्रासी ने दो पन्नों का एक मसौदा तैयार किया है. ग्रासी ने यह दस्तावेज एनएसजी के वर्तमान अध्यक्ष दक्षिण कोरिया के सांग यंग वान की सलाह पर तैयार किया है अत: इसे अर्ध आधिकारिक स्तर प्राप्त है. ग्रासी के प्रस्ताव में कहा गया है कि एनएसजी समूह में शामिल होने के लिए आवेदन करने वाले गैर परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) वाले देश एक दूसरे की सदस्यता को लेकर आपत्ति नहीं उठा सकते.
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के सदस्य देशों के बीच इस महीने की शुरुआत में बांटे गए नए मसौदा प्रस्ताव से भारत के इस विशिष्ठ समूह का सदस्य बनने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है, लेकिन अगले महीने ओबामा प्रशासन का कार्यकाल पूरा होने तक ऐसा होने की संभावना नहीं है.
परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले भारत और पाकिस्तान जैसे देशों को एनएसजी सदस्यता के लिए मसौदा एनएसजी के पूर्व प्रमुख राफेल मारियानो ग्रोसी की ओर से सौंपा गया, जिन्होंने दक्षिण कोरिया की ओर से रिपोर्ट तैयार की. दक्षिण कोरिया फिलहाल एनएसजी का अध्यक्ष है.
ट्रंप प्रशासन की होगी जिम्मेदारी
भारत को एनएसजी का पूर्ण सदस्य बनाने के अमेरिकी प्रयास को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब ट्रंप प्रशासन की होगी क्योंकि ओबामा प्रशासन मोदी सरकार से किया गया अपना वादा 20 जनवरी तक शायद ही पूरा कर पाए.
वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक ‘आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन’ के अनुसार दो पृष्ठों के मसौदे में ऐसी नौ प्रतिबद्धताओं की पेशकश की गई है, जिनको भारत और पाकिस्तान देशों को पूरी सदस्यता हासिल करने के क्रम में जताने की जरूरत होगी.
अमेरिकी सरकार के सूत्रों के अनुसार मौजूदा ‘समयसीमा’ में यह सुनिश्चित नहीं है कि भारत को ओबामा प्रशासन के तहत सदस्यता मिलेगी.