नासा ने चंद्रमा पर अपने बेस बनाने और अन्य भावी अभियानों के लिए इंसान के चंद्रमा पर लंबे समय की उपस्थिति सुनिश्चित करने की दिशा में पहला कदम सफलता पूर्वक उठा दिया है। नासा (NASA) के अधिकारियों का कहना है कि आर्टिमिस अभियान के पहले चरण के सफल प्रक्षेपण के बाद दशक के अंत पर चंद्रमा पर रहना और वहां काम करना संभव हो जाएगा। हालाकि ये सब आम लोगों के लिए अभी नहीं होगा लेकिन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ही यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। नासा की यह दूरगामी प्रयास भविष्य में मंगल के अभियानों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी।
नासा का आर्टिमिस अभियान का सफल प्रक्षेपण हो चुका है। अब ओरियॉन अंतरिक्ष यान चंद्रमा की विशेष कक्षा की ओर बढ़ रहा है। यह अभियान नासा का महत्वाकांक्षी अभियान का पहला चरण है जिसके तीसरे और अंतिम चरण में नासा चंद्रमा पर पहली महिला और पहला गैरश्वेत पुरुष भेजा जाएगा और इस अभियान के जरिए चंद्रमा पर लंबे समय तक मानव की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए. नासा के बड़े अधिकारी का कहना है कि 2030 तक इंसान चंद्रमा पर रहने लगेंगे और काम भी करने लगेंगे।
इस अभियान के बारे में नासा के ओरियॉन लूनार स्पेसक्राफ्ट प्रोग्राम के प्रमुख हॉवर्ड हू का कहना है कि 2030 से पहले ही इंसान चंद्रमा पर लंबे समय तक रहने के लिए रहने लगेंगे और इसका मतलब केवल यह नहीं होगा कि चंद्रमा पर इंसानों के लिए रहने लायक जगह बन जाएगी। बल्कि इसके साथ उनका साथ देने के लिए बहुत सारे रोवर भी काम करने लगेंगे। ओरियॉन के प्रमुख मैनेजर हू नासा के ओरियॉन के डिजाइन, विकास,उत्पादन, और ऑपरेशन्स के लिए जिम्मेदार हैं। फिलहाल ओरियॉन का बिना किसी क्रू के चंद्रमा तक भेजने का परीक्षण किया जा रहा है जिसमें वह चंद्रमा का चक्कर लगाकर लौट आएगा। हू ने बताया कि निश्चित रूप से दुनिया इसी दशक में लोगों को लंबे समय तक चंद्रमा पर रहते हुए देखेगी।