अमेरिका: यौन उत्पीड़न की शिकार मरीन्‍स के लिए खुले सिविल कोर्ट के डोर

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अमेरिकी मरीन्‍स के लिए अपनी सेवाएं देने के दौरान यौन उत्पीड़न की शिकार हुई भारतीय मूल की एक अमेरिकी महिला ने अपील की है कि सेना में होने वाले यौन अपराधों के मामलों में सैन्यकर्मियों को न्याय दिलाने के लिए सिविल अदालतों के दरवाजे खोले जाने चाहिए।सर्विस विमेन्स एक्शन नेटवर्क की सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक अनु भगवती ने सेना में यौन उत्पीड़न के विष… अमेरिका: यौन उत्पीड़न की शिकार मरीन्‍स के लिए खुले सिविल कोर्ट के डोर

अमेरिकी मरीन्‍स के लिए अपनी सेवाएं देने के दौरान यौन उत्पीड़न की शिकार हुई भारतीय मूल की एक अमेरिकी महिला ने अपील की है कि सेना में होने वाले यौन अपराधों के मामलों में सैन्यकर्मियों को न्याय दिलाने के लिए सिविल अदालतों के दरवाजे खोले जाने चाहिए।सर्विस विमेन्स एक्शन नेटवर्क की सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक अनु भगवती ने सेना में यौन उत्पीड़न के विषय पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान कहा, ‘मरीन अधिकारी के तौर पर पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान मुझे रोजाना भेदभाव और यौन उत्पीड़न झेलना पड़ता था।’ इस विशेष सुनवाई की अध्यक्षता कर रही सीनेटर क्रिस्टन गिलीब्रैंड ने कहा कि सेना में कार्य करते समय भगवती को एक महिला के तौर पर भेदभाव और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा और वह यौन हिंसा के मामलों में सेना के निपटने के तरीके की प्रत्यक्ष गवाह हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे उत्तर कैरोलिना में 2002 से 2004 तक कैंप लेजेयुने में तैनात किया गया जहां मैंने देखा कि किस तरह कुछ मुट्ठी भर अधिकारियों ने बलात्कार, यौन अपराधों और उत्पीड़न की रिपोर्टों को दबा दिया।’भगवती ने आरोप लगाया कि अपराधियों को सजा देने के बजाए पदोन्नति या किसी अन्य इकाई में तबादला दे दिया गया, जबकि पीडि़त महिलाओं पर एक पुरुष की प्रतिष्ठा बर्बाद करने के कारण झूठ बोलने या बात को बढ़ा-चढ़ा कर बताने का आरोप लगाया गया। उन्होंने कहा कि एक दोषी अधिकारी के खिलाफ उचित जांच के लिए उन्होंने अंतत: अपने करियर का बलिदान देने का निर्णय लिया।उन्होंने कानून निर्माताओं से कहा, ‘मेरी तरह इस प्रकार की घटनाओं से प्रभावित कई महिलाएं अब सेना में नहीं हैं, जबकि इन मामलों को दबाने वाले सभी अधिकारी या तो सेवानिवृत्त हो चुके है या अब भी कार्यरत हैं।भगवती ने कहा कि सेना में हर स्तर पर यौन उत्पीड़न होता है और सैन्य नेतृत्व अपने आप इस समस्या का हल नहीं खोज सकता। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सेना में कार्यरत पुरुष और महिलाओं को भी अन्य लोगों की तरह फेडरल टोर्ट क्लेम्स एक्ट और सिविल राइट्स एक्ट के तहत न्याय मिल सके।’