कोरोना संकट की वजह से वैश्विक पर्यटन उद्योग पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. पिछले करीब 6 महीने से टूरिज्म इंडस्ट्री पर ताला लटका हुआ है. भारत में भी इस सेक्टर पर गहरा असर पड़ा है. हर दिन नुकसान का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है और फिलहाल हालात सामान्य होने की उम्मीद भी नहीं दिखाई दे रही है.
दरअसल संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को कहा कि इस महामारी की वजह से वैश्विक पर्यटन उद्योग को इस साल के पहले पांच महीनों में 320 अरब डॉलर के निर्यात का नुकसान हुआ है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पर्यटन उद्योग में 12 करोड़ नौकरियां खतरे में हैं. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि दुनियाभर में प्रत्येक 10 में से एक व्यक्ति को इस क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है.
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र सिर्फ अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढ़ने में ही मदद नहीं करता, बल्कि इसके जरिए लोगों को दुनिया की संस्कृति को जानने और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाने का अवसर भी मिलता है. उन्होंने कहा कि यह विकसित देशों के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन विकासशील देशों लिए तो आपात स्थिति है. कुछ देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पर्यटन क्षेत्र का हिस्सा 20 प्रतिशत से अधिक है.
भारत में ट्रैवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री का कुल इकोनॉमी में 6.8 फीसदी का योगदान है. फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी (FAITH) और इसके सहयोगी एआईआरडीए (AIRDA) ने भारतीय पर्यटन उद्योग को होने वाले नुकसान का अनुमान 15 लाख करोड़ रुपये से अधिक बताया है.
दरअसल, भारत में ट्रैवल और टूरिज्म से करीब 4 करोड़ लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं. कोरोना से पहले हर महीने भारत में करीब 10 लाख विदेशी पर्यटक आते थे. भारत को विदेशी पर्यटकों के आने से हर साल करीब 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की आमदनी होती है. वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (डब्ल्यूटीटीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बांग्लादेश से 12 फीसदी, अमेरिका से 9 फीसदी, ब्रिटेन से 6 फीसदी, कनाडा से 2 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया से 2 फीसदी और 69 फीसदी लोग दुनिया के अन्य देशों से आते थे.