आसाराम आश्रम पर लग सकता है तीन करोड़ जुर्माना

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इंदौर । यौन शोषण के आरोपों में फंसे आसाराम ने अपने आश्रमों के जरिए शासकीय और निजी जमीनों का भी बड़ा खेल किया है। इस खेल में सरकारी नियम-कायदों को भी ताक में रख दिया गया।

इंदौर जिले के बिलावली गांव में आसाराम आश्रम है। इस आश्रम के बहाने निजी जमीन पर बिना डायवर्शन आसाराम और उनके बेटे नारायण साई के आवास सहित कई निर्माण कर लिए गए हैं। जांच के बाद प्रशासन ने आश्रम प्रबंधन को नोटिस जारी किया है। मप्र भू-राजस्व संहिता की धारा-172 के तहत डायवर्शन नियमों के उल्लंघन पर आश्रम प्रबंधन पर 2.91 करोड़ रुपए का जुर्माना लग सकता है। यदि जुर्माना चुकाने की नौबत आई तो आश्रम प्रबंधन पर संपत्ति गाइडलाइन की दर का 20 प्रतिशत जुर्माना लगेगा। बहरहाल मामले में सुनवाई चल रही है। आसाराम ट्रस्ट ने लिंबोदी में शासकीय जमीन तो आवंटित करवाई ही, आश्रम परिसर में ही बिलावली गांव की कुछ निजी भूमि भी 1997 में खरीदी थी।

2.818 हेक्टेयर जमीन पर बिना डायवर्शन निर्माण

एसडीओ राजस्व ने नोटिस जारी कर कहा कि ग्राम बिलावली में 2.818 हेक्टेयर जमीन पर बिना डायवर्शन निर्माण किया है। इस संबंध में मप्र भू-राजस्व संहिता की धारा-172 [4][5] का उल्लंघन बताया गया है। संशोधित नियमों के अनुसार, कृषि भूमि पर बिना डायवर्शन निर्माण करने पर उस क्षेत्र में जमीन की बाजार वैल्यू के 20 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जाएगा।

जमीन पर ये निर्माण

इस जमीन पर आसाराम व उनके बेटे नारायण साई के आवास, गोशाला, स्क्रैप हॉल, सत्संग केंद्र, सड़क, गार्डन, फव्वारा, स्वीमिंग पूल, ध्यान केंद्र, मंदिर आदि का निर्माण है। जमीन के सर्वे नंबर 127/2, 128/2, 133/2, 129/2, 129/3, 129/4 और 132 हैं।

जुर्माने का हिसाब–किताब

बिलावली में कृषिष भूमि की गाइडलाइन दर 5 करो़़ड पए हेक्टेयर है। इस हिसाब से आसाराम आश्रम की 2.818 हेक्टेयर भूमि की कीमत करीब 14.59 करो़़ड बन रही है। यदि आसाराम आश्रम के मामले में मप्र भू–राजस्व संहिता की धारा-172 [4][5] का पालन किया गया तो जमीन की कीमत का 20 प्रतिशत जुर्माना लगेगा। इस तरह 14.59 करोड़ रुपए का 20 प्रतिशत 2 करोड़ 91 लाख 80 हजार रुपए बनता है।

मुकेश पटेल, संचालक, आसाराम आश्रम ने बताया कि आश्रम की ओर से 1997 में निजी जमीन भी खरीदी गई थी। तब ग्राम पंचायत से इसका नक्शा पास कराया था। नगर तथा ग्राम निवेश से भी नक्शा पास है, लेकिन यहां से डायवर्शन की परमिशन नहीं है। फरवरी, 2013 में यह क्षेत्र नगर निगम में आया। मामले की सुनवाई चल रही है। इस मामले को हमारे वकील देख रहे हैं।

प्रमोद द्विवेदी, अभिभाषक एवं गाइडलाइन विशेषज्ञ ने कहा कि आसाराम आश्रम में बिना डायवर्शन निर्माण हुआ है तो इस जमीन को कृषि भूमि के बजाय डायवर्टेड जमीन मानकर गाइडलाइन दर से डे़़ढ गुना कीमत मानी जानी चाहिए। इसी आधार पर जुर्माना तय होना चाहिऐ