प्रदेश सरकार मेड इन एमपी नाम से करेगी जैविक बीज की ब्राडिंग

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इमालवा-भोपाल (ब्यूरो)। प्रदेश के जैविक उत्पाद और बीजों की मार्केटिंग व ब्रांडिंग प्रदेश सरकार ‘मेड इन एमपी” नाम से करेगी। जैविक बीज बेचने के लिए राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम को नोडल एजेंसी नियुक्त होगा। इसके लिए मंडी बोर्ड बीज निगम की वित्तीय जरूरतों को पूरा करेगा। साथ ही कृषि विभाग जबलपुर, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, देवास, सिवनी, ग्वालियर, झाबुआ, बैतूल में स्थित सरकारी फार्म में जैविक बीज उत्पादन का काम करेगा।

बुरहानपुर में पहले की तरह बीज उत्पादन चलता रहेगा। जैविक खेती का दायरा बढ़ाने के लिए 29 अक्टूबर को कृषि विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में हाई पॉवर कमेटी की बैठक हुई। इसमें तय किया गया कि प्रदेश में जितना भी जैविक उत्पाद होता है उसके विक्रय के लिए मंडियों में एक दुकान अलग से रहेगी। इस प्रावधान को सख्ती के साथ लागू करवाया जाएगा। हर साल दस जैविक गांवों को पुरस्कार दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जैविक प्रमोशन काउंसिल की बैठक होगी। जबलपुर के खमरिया में सौ एकड़ में जैविक बीज उत्पादन का काम हाथ में लिया जाएगा। नीम, करंज और इनसे मिली-जुली प्रजाति के कीटनाशक वृक्षों को किसानों की मेड़ों पर लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। मंडी बोर्ड और उद्यानिकी विभाग से मिलकर मेगाफूड पार्क की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए आत्मा जैसी समितियों को अधिकृत करने पर भी विभाग विचार कर रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए विंध्यावैली के साथ मिलकर काम करने की रणनीति बनाई जाएगी। कृषि संचालक को निर्देश दिए गए हैं कि उत्तराखंड और केरल में जैविक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए हो रहे प्रयासों का अध्ययन कराकर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाए।

इन जिलों में जैविक खेती संभव

मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल, कटनी, उमरिया, अनूपपुर, दमोह, सागर, आलीराजपुर, झाबुआ, खंडवा, सीहोर, श्योपुर और भोपाल