भोपाल महापौर के लिए भाजपा-कांग्रेस के भीतर दावेदारी शुरू

0

इमालवा-भोपाल। भोपाल नगर निगम के सामान्य पुरुष आरक्षित होते ही अब दावेदारों में जोर आजमाइश शुरू होने के आसार हैं। बीजेपी और कांग्रेस के दोनों जिला अध्यक्षों सहित कई वरिष्ठ नेताओं की दावेदारी से चुनाव के पहले ही राजनीतिक दंगल शुरू होने की संभावना है।

राजधानी का महापौर पद सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में महापौर सामान्य सीट आरक्षित होने के बाद अब बीजेपी और कांग्रेस के कई नेता सक्रिय हो गए हैं जिससे अब दोनों पार्टियों को इस चुनौती का सामना करना पड़ेगा। इन दावेदारों में से कई नेताओं के समर्थकों ने तो अपने-अपने आकाओं को न मिठाई बांटी बल्कि आरक्षण में सामान्य पुरुष का ऐलान होते ही जीत जैसा जश्न भी मनाना शुरू कर दिया।

देखा जाए तो बीजेपी में दावेदारों की सूची बहुत ज्यादा लंबी होने की संभावना है क्योंकि प्रदेश में तीसरी बार सरकार बनने और केंद्र में भी सत्ता में आ जाने से राजधानी का महापौर सबसे ज्यादा ताकतवार होगा। दावेदारों में बीजेपी जिला अध्यक्ष आलोक शर्मा, पूर्व जिला अध्यक्ष भगवानदास सबनानी, पूर्व विधायक रमेश शर्मा गुट्टू व ध्रुवनारायण सिंह सहित कुछ वरिष्ठ पार्षद भी हैं।

आलोक शर्मा ने विधानसभा चुनाव में भोपाल उत्तर से टिकट मांगा था लेकिन तब उन्हें अल्पसंख्यक नेता को वहां से उतारने के कारण टिकट नहीं मिला था। अब महापौर सामान्य सीट आरक्षित होने से उनकी दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है, हालांकि उनके विरोधी खेमे के लोग भी सक्रिय हो गए हैं। वे एक बार भोपाल उत्तर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन वे हार गए थे। दूसरे दावेदारी है पूर्व जिला अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की भारतीय जनशक्ति में उनके साथ जाकर वापस बीजेपी में लौटे भगवानदास सबनानी की है। वे 2004 में महापौर का चुनाव लड़ चुके हैं और तब महज साढ़े छह हजार वोट से हारे थे।

उस समय पार्टी में उनके विरोधियों ने जमकर सेंधमारी की थी। गुट्टू भैया विधायक व निगम अध्यक्ष रहे हैं। वहीं ध्रुवनारायण सिंह का शहला मसूद हत्याकांड में नाम आने से उनकी छवि पर विपरीत असर पड़ा और उन्हें विधानसभा का टिकट भी नहीं मिला। अन्य दावेदारों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बालसखा व पार्षद कृष्णमोहन सोनी मुन्न भैया और उनसे जैसे कुछ अन्य पार्षद भी शामिल हैं।

वहीं कांग्रेस का महापौर प्रत्याशी कांटों का ताज जैसा होगा क्योंकि हाल ही में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी की जबरदस्त हार के कारण महापौर चुनाव में जोखिम ज्यादा है। इसके बाद भी दावेदारों में कई वरिष्ठ नेताओं के नाम आने शुरू हो गए हैं। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी खेमे से पूर्व महापौर सुनील सूद व नगर निगम अध्यक्ष कैलाश मिश्रा प्रमुख हैं। वहीं जिला शहर कांग्रेस अध्यक्ष पीसी शर्मा भी टिकट लेकर काफी आशांवित हैं।

विदिशा लोकसभा चुनाव 2009 के बाद निष्कासित हुए राजकुमार पटेल की लंबे समय बाद पार्टी में वापसी हुई है जबकि इस बीच उनके बीजेपी में जाने को लेकर कई बार अटकलें लगाई गईं। उनका नाम विधानसभा और लोकसभा चुनाव के संभावित प्रत्याशी के तौर पर कई बार चला और अटकलें भी लगाईं गईं उनकी वापसी के साथ प्रत्याशी बनाया जाएगा मगर चुनावों के बाद वे पार्टी में लौटे। अब उनकी दावेदारी महापौर के लिए होने के आसार हैं। इनके अलावा पंकज चतुर्वेदी भी मजबूती से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।

 im