सरदार सरोवर की ऊंचाई बढ़ाने के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएगी कांग्रेस

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मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाकर ऐसे व्यवहार कर रहे हैं, जैसे वे गुजरात के मुख्यमंत्री हैं। पूरे मामले की केस स्टडी किए बिना ही मध्य प्रदेश के किसानों और आदिवासियों के हितों की बलि चढ़ाई जा रही है।

अरुण यादव का कहना है कि अब भी 20-25 हजार परिवारों का पुनर्वास होना बाकी है और मोदी सरकार ने इन लोगों को डुबोने का फैसला कर लिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस केंद्र के इस फैसले के खिलाफ अदालत की शरण लेगी।

खंडवा क्षेत्र से ही संबंध रखने वाले अरुण यादव का कहना है कि मध्य प्रदेश के हितों को अनदेखा करके गुजरात को फायदा पहुंचाया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस पहले भी जलसमाधि जैसे कार्यक्रम करती रही है और अब इस फैसले के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस संघर्ष करने के लिए तैयार है।

नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने कहा है कि केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री के विदेश प्रवास के दौरान यह फैसला करके संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने मांग उठाई है कि प्रभावितों के परिवार में से कम से कम एक व्यक्ति को मध्य प्रदेश अथवा गुजरात सरकार में शासकीय नौकरी दी जाए।

उनका कहना है कि डूब में आने वाली जमीन के बराबर जमीन भूस्वामियों को दी जानी चाहिए। कटारे ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार मुआवजा वितरित किए जाने से पहले ऊंचाई बढ़ाने का फैसला अनुचित है। ऐसा कोई भी फैसला सर्वदलीय बैठक बुलाकर किया जाना चाहिए।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रवक्ता मीरा का कहना है कि यह भी स्पष्ट नहीं है कि गुजरात को कोई फायदा इससे पहुंचेगा, क्योंकि अभी तो 30 फीसदी ही नहरें बनी हैं, नहरों का काम पूरा नहीं हुआ है, इसलिए गुजरात को पानी इकट्ठा करने का भी कोई फायदा मिल पाएगा, यह स्पष्ट नहीं है।

मीरा का कहना है कि बांध की ऊंचाई बढ़ाने के फैसले से निमाड़ का जो इलाका डूब में आने वाला है, उसमें लोग रह रहे हैं, मंदिर-मस्जिद हैं, खेती हो रही है, लेकिन सरकार ने डुबोने का फैसला कर लिया है। मीरा का कहना है कि अदालत ने पूरे पुनर्वास करने के आदेश दे रखे हैं, उसकी अनदेखी करते हुए यह फैसला किया गया है। उनके मुताबिक डूब प्रभावितों ने आवेदन लगा रखे हैं कि उनका पुनर्वास नहीं हो पाया है।