उसका टिकट कैसे कटेगा – नेता लगे अब इस उधेड़बुन में

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इमालवा – भोपाल। प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही दोनों ही प्रमुख दलों के नेताओं में पार्टी टिकट के लिए शुरू हुई मारा मारी अब और तेज़ होने लगी है। कल तक जो नेता ” पार्टी को जिताओ, पार्टी ही सब कुछ है ” के नारे लगा रहे थे, वे अब अपने परिवारजनों को टिकट दिलाने की जुगत में लग गए है |
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख दलों में परिवारवाद अब चरम पर पहुँच गया है। राजधानी भोपाल आने वाले नेताओं में टिकट की लालसा वाले कम और अपने विरोधी का टिकट कटवाने के लिए जोर लगाने वाले ज्यादा है |
वरिष्ठ नेताओं के यंहा लग रही भीड़ में ज्यादातर लोग एक ही राग अलापते हुए नज़र आते है की टिकट किसी को भी दे दो पर इसे मत दो…। मुख्यमंत्री निवास से लगाकर कांग्रेस और भाजपा के कार्यालय तक एक समान नज़ारा दिखाई दे रहा है |
प्रदेश के कई कद्दावर नेताओं ने अपने परिजनों के नाम आगे बढ़ाकर पार्टी के स्थानीय समर्थकों को नाराज़ कर दिया है | और ये नाराज़ लोग अपने विरोध के सुरों को राजधानी में आकर खुलेआम बुलंद कर रहे है |
कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्द्धन सिंह को राघौगढ़ से, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांति लाल भूरिया के पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया को थांदला से, केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को छिंदवाड़ा के चौरई से टिकट दिए जाने की सुगबुगाहट हैं। सत्यव्रत चतुर्वेदी छतरपुर से अपने बेटे नितिन के लिए टिकट मांग रहे हैं। करीब 30 सीटों पर कांग्रेस के प्रमुख नेताओं द्वारा अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट मांगे जा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया इस कवायद से बुरी तरह नाराज़ है और उन्होंने दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह तथा भूरिया के बेटे विक्रांत को टिकट देने पर आपत्ति जताई है।
राजधानी पहुच रही सूचनाओं के अनुसार कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग कमेटी ने 80 विधानसभा क्षेत्रों के लिए संभावित उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगा दी है।
ये नाम अब केंद्रीय चुनाव समिति के पास जाएंगे। इनमें ज्यादातर विधायक, एक हजार वोटों से कम से हारे उम्मीदवार, नेता-पुत्र व परिजन शामिल हैं। पूरी सूची 15 अक्टूबर तक फाइनल होने की उम्मीद है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी बहुत कम वोटों से हारे थे, इसलिए उन्हें या उनके बेटे सुंदर लाल अथवा नाती विवेक में से किसी को टिकट दिए जाने की संभावना है।

इनके टिकट खतरे में
कांग्रेस में मुलताई से विधायक सुखदेव पांसे और जबलपुर पूर्व से विधायक लखन घनघौरिया के टिकट आपराधिक प्रकरण के कारण खतरे में हैं। रिपोर्टकार्ड के आधार पर महिदपुर से विधायक कल्पना परुलेकर, उमंग सिंगार (गंधवानी), सुरेश चौधरी (संबलगढ़), लाखन सिंह (भितरवार), रणवीर सिंह (गोहद), इमरती देवी (डबरा),नारायण प्रजापति (बंडा), विक्रमसिंह नातीराजा (राजनगर), नारायण पट्टा (बिछिया),श्रीकांत दूबे (पन्ना), लक्ष्मीदेवी खराड़ी (रतलाम ग्रामीण), धरमू सिंह (भैंसदेही), बृजेंद्र सिंह मालाहेड़ा (मनासा) के टिकटों पर फिर से विचार हो रहा है।

भाजपा दे सकती है इन सांसदों को टिकट
यशोधरा राजे (ग्वालियर), जितेंद्र सिंह (खजुराहो), केडी देशमुख (बालाघाट), ज्योति धुर्वे (बैतूल), गणेश सिंह (सतना), गोविंद मिश्र (सतना), भूपेंद्र सिंह (सागर), वीरेंद्र कुमार (टीकमगढ़)

भाजपा में भी रिश्तेदारों की पैरवी
भाजपा में भी रिश्तेदारों के लिए टिकट की मांग तेज है। उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इंदौर से एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव सागर से दो – दो सीटों पर दावा ठोक रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय नेता थावरचंद गहलोत , सांसद सुमित्रा महाजन , मंत्री जयंत मलैया जैसे नेता अपने पुत्रों के लिए टिकट की मांग कर रहे है । बताया जा रहा है की भाजपा ने मुख्यमंत्री की मौजदगी में हुई बैठक के दौरान सत्तर नामों के पैनल को अंतिम रूप दे दिया है । पार्टी की चुनाव समिति की बैठक के बाद ही पार्टी के अन्य उम्मीदवारों के नाम तय होंगे |