भोपाल। प्रदेश में ओला-पानी से फसल को हुए नुकसान का सर्वे होगा। राजस्व और कृषि विभाग के दल मिलकर सर्वे करेंगे। राहत के पैमाने पर क्षति सामने आई तो किसान को राजस्व परिपत्र पुस्तक (आरबीसी) के मुताबिक मुआवजा मिलेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निवास पर बैठक में अधिकारियों से फसलों के नुकसान का फीडबैक लिया। बैठक के बाद कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने बताया कि कलेक्टरों को नुकसानी का जायजा लेकर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।
उत्पादन पर नहीं पड़ेगा फर्क
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बारिश कुछ क्षेत्रों तक सीमित है। रीवा, बैतूल, जबलपुर, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, उज्जैन, शिवपुरी और सतना में बारिश हुई है। जिन जिलों या पॉकेट में पानी गिरा है वहां 80 फीसदी चना और 60 प्रतिशत गेहूं कट चुका है। जो गेहूं खेतों में खड़ा है वो हरा है। बालियां डल चुकी हैं, लिहाजा नुकसान ज्यादा नहीं होगा। मसूर, प्याज, लहसुन, ईसबगोल, सरसों में भी क्षति की सूचनाएं हैं। इस सबके बावजूद प्रदेश के उत्पादन में कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा।
कितने गांवों में ओले से फसल चौपट
रीवा 154
बैतूल 40
सिवनी 45
उज्जैन 35
रतलाम 11
अनूपपुर 27
नीमच 7
शिवपुरी 7
बुरहानपुर 2
सिंगरौली 1
कुल 329 गांव
445 करोड़ का फसल बीमा
प्रदेश के पांच लाख से ज्यादा किसानों को बीते साल बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुई गेहूं, चना, मसूर और अरहर की फसल के लिए 445 करोड़ रुपए का फसल बीमा मिलेगा। केन्द्र सरकार ने फसल बीमा के दावे को मंजूरी दे दी है। इसमें 125 करोड़ किसानों के ही हैं, जो प्रीमियम के तौर पर जमा किए गए थे। केन्द्र और राज्य 161-161 करोड़ रुपए देंगे। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अगले दो-तीन माह में ये रकम किसानों के खातों में जमा हो जाएगा। सितंबर में सरकार खरीफ 2013 में हुए फसल नुकसान की भरपाई के लिए 14 लाख किसानों को 2 हजार 187 करोड़ रुपए का बीमा भुगतान कर चुकी है।
कुछ जगह नुकसान संभव
बारिश और ओले से कुछ जगहों पर फसल को नुकसान हो सकता है। जिन खेतों में पानी भर गया है और फसल कटाई के लिए खड़ी है वहां भी क्षति हो सकती है। पकने के बाद कटाई के लिए खेतों में खड़ी फसल के लिए भी बारिश नुकसानदेह है। लेकिन जहां रही फसल है और बालियां लग चुकी हैं वहां ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
-डॉ.राजेश कुमार राजौरा, प्रमुख सचिव, कृषि विभाग