चौबीसवें तीर्थंकर महावीर सदियों पहले जनमे। वे जन्म से महावीर नहीं थे। उन्होंने जीवन भर अनगिनत संघर्षों को झेला, कष्टों को सहा, दुख में से सुख खोजा और गहन तप एवं साधना के बल पर सत्य तक पहुंचे, इसलिए वे हमारे लिए आदर्शों की ऊंची मीनार बन गए।
भगवान महावीर के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। उनके द्वारा बनाए गए अहिंसा व अनेकांतवाद के सिद्धांतों से ही विश्व में शांति संभव है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि महावीर के सिद्धांतों को हम अपने जीवन में उतारें।
स्वामी महावीर अलौकिक महापुरुष थे। वे तपस्वियों में आदर्श, विचारकों में महान, प्रचलित विधाओं में पारंगत थे। उन्होंने अपनी तपस्या के बल पर उन विधाओं को रचनात्मक रूप देकर जन समूह के समक्ष उपस्थित किया।
उन्होंने हमें यह साबित कर दिखाया कि महानता कभी भौतिक पदार्थों, सुख-सुविधाओं, संकीर्ण सोच एवं स्वार्थी मनोवृत्ति से नहीं प्राप्त की जा सकती। उसके लिए सच्चाई को बटोरना होता है, नैतिकता के पथ पर चलना होता है और अहिंसा की जीवन शैली अपनानी होती है।