एक अनमोल अधिकार-अकबर और बीरबल की कहानी

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शहंशाह अकबर और बीरबल अन्य मंत्रियों के साथ दरबार में बैठे थे।

मानसिंह बोला दरबार में अकबर से – सलाम हुजूरे आला….!

शहंशाह अकबर बोले मंत्री मानसिंह से – आपका स्वागत है। मानसिंह जी…..! हम सब जानते हैं कि आपने कितनी बहादुरी से अकेले ही कितने खतरनाक डाकू जग्गा को पकड़ा। हम आपकी बहादुरी पर शाबाशी देते हैं।

मानसिंह बोला दरबार में अकबर से – शुक्रिया जहाँपनाह……!

शहंशाह अकबर बोले मंत्री मानसिंह से – वो डाकू कहाँ है ? मानसिंह जी….! उसे दरबार में पेश करें। हमारी प्रजा को महीने तक परेशान करने के जुर्म में, हम उसे कड़ी से कड़ी सजा देना चाहतें हैं।

मानसिंह बोला दरबार में अकबर से – मुझे माफ़ कर दीजिये। जहाँपनाह……! शाही महल आने के लिये, जब हम नदी पार कर रहे थे, तो वो डाकू अचानक गायब हो गया।

शहंशाह अकबर बोले मंत्री मानसिंह से – क्या मतलब गायब हो गया ? कोई ऐसे कैसे गायब हो सकता है ?

मानसिंह बोला दरबार में अकबर से – हुजूर….! मेरा यकीन कीजिये। मैं भी हैरान हो गया था। पता नहीं, वो हमसे कैसे बचकर चला गया ? मैंने उसे ढूढ़ने की बहुत कोशिश की। पर वो कहीं नहीं मिला। दोपहर की कड़कती धूप में नदी पर कोई भी नहीं था, सिवाय एक साधू के…..! जो नहाने के लिये नदी पर आया। जग्गा अचानक गायब हो गया। हुजूर….!

शहंशाह अकबर बोले मंत्री मानसिंह से – बस, बहुत हो चुका मानसिंह जी…..! हम और कुछ नहीं सुनना चाहते, पर हमने भरोसा किया था। मगर आपने, आपने हमारा भरोसा तोड़ दिया। हम आपको देश निकला देते हैं।

मानसिंह बोला दरबार में अकबर से – ओ…. हुजूर….! मैं वादा करता हूँ। मैं उस डाकू को ढूढ़ निकालूँगा। मुझे एक मौका और दीजिये।

शहंशाह अकबर बोले मंत्री मानसिंह से – बस, अब तुम्हें और कोई मौका नहीं दिया जायेगा। इसी वक्त हमारे राज्य से निकल जाओ…..! वर्ना, हमें सिपाहियों से कह कर बाहर निकालना होगा।

मानसिंह बोला दरबार में अकबर से – आदाब हुजूर….!

और दरबार से मानसिंह चला गया। शहंशाह अकबर अपने घर पहुंचे और महारानी को आवाज देने लगे….!

शहंशाह अकबर अपने घर जा कर महारानी से बोले – महारानी… महारानी…..!

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – क्या बात है ? जहाँपनाह……! आप परेशान लग रहे हैं।

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – महारानी….! हमने आपके भाई को देश निकाल दिया है। उन्होंने हमारा भरोसा तोडा है, एक बेहद ख़तरनाक डाकू उनकी हिरासत से भाग गया है।

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – पर… पर हुजूर…! हमें यकीन है कि उनकी कोई गलती नहीं होगी। मानसिंह…..! जल्दी ही उस डाकू को पकड़ लेंगे।

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – ऐसी गलती के लिये, हम उन्हें हरगिज माफ़ नहीं करेंगे। हम उनसे बहुत नाखुश हैं।

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – उन्हें एक बार मौका दे दीजिये। जहाँपनाह……! आखिर वो हमारे भाई हैं। आपको इस बात का नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहिये।

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – बस… महारानी….! हम मानसिंह के बारे में और कुछ नहीं सुनना चाहते हैं। तो क्या हुआ आपके भाई हैं…? कानून से ऊपर कोई नहीं है।

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – पर हुजूर…! मानसिंह कोई आम वजीर नहीं हैं, आप उनके साथ ऐसा नहीं कर सकते।

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – महारानी….! अपनी नाजायज मांग से अब आपने ही हमें नाराज कर दिया है, कोई भी हमारा हुक्म न मानने की जुर्रत नहीं कर सकता। हम आपको भी देश निकाला देते हैं। आप अपने साथ अपनी सबसे अजीज चीजें लेकर जा सकती हैं सोना, चाँदी, हीरे, जवाहारात जो चाहिये, वो आज ही लेकर आप महल छोड़कर चली जाये।

शहंशाह अकबर ये बात कह कर महारानी के शयन कक्ष से चले गए। महारानी अपने शयन कक्ष में रोने लगी। उसके बाद मानसिंह महारानी से मिलने आया और बोला…..!

मानसिंह बोला महारानी से – बहना….! क्या आपको किसी ने दुःख पंहुचाया है ? आप रो क्यों रही हैं ?

महारानी बोली मानसिंह से – भाई जान….! हमने जहाँपनाह से कहा आपको माफ़ कर दें और देश निकाला न दें। वो और भी नाराज हो गए और हमें भी देश निकाला दे दिया। ओह… अब हम क्या करें ? हम कहाँ जायेंगे ?

मानसिंह बोला महारानी से – फ़िक्र मत करो। बहना……! हम कोई रास्ता ढूंढ निकालेंगे।

महारानी बोली मानसिंह से – कोई रास्ता नहीं है, जहाँपनाह हमारी बात तक सुनने को तैयार नहीं हैं।

मानसिंह बोला महारानी से – क्यों न हम बीरबल से बात करें ? वो बहुत चालाक हैं, मुझे यकीन है वो कोई न कोई तरीका जरुर निकालेंगे।

महारानी बोली मानसिंह से – हाँ….! ये ठीक रहेगा। वो ही हमें बचा सकते हैं।

तभी मानसिंह और महारानी ने बीरबल को अपने घर बुलाया और महारानी ने अपनी बात बीरबल को सुनाई। बीरबल बोले…..!

बीरबल बोले महारानी से – ओह…..! इसीलिये जहाँपनाह ने आपको भी देश निकाला दे दिया। फ़िक्र न करें महारानी….! मेरे पास एक तरकिब है। जो मुझे यकीन है वो सफल हो जाएगी। पर आपको वैसा ही करना होगा जैसा में कहूं।

महारानी बोली बीरबल से – जहाँपनाह के साथ रहने के लिये हम कुछ भी करने के लिये तैयार हैं।

बीरबल बोले महारानी से – ठीक है, तो आपको ऐसा करना है।

और बीरबल ने महरानी को कोई तरकीब बताई, तो महारानी ने सिपाही को भेजा शहंशाह अकबर को आखिरी बार खाने पर बुलाने के लिये…..!

सिपाही बोला शहंशाह अकबर से – आदाब जहाँपनाह….! महारानी साहिबा ने आप से विनती की है। क्योंकि पिता के घर जाने से पहले आखिरी बार आप उनके साथ खाना खाए ?

शहंशाह अकबर बोले सिपाही से – हूँ…..! उनसे कहो हम थोड़ी देर में हाजिर होंगे।

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – जहाँपनाह……! आपको नाराज करने के लिये हम शर्मिंदा हैं और आपकी सजा के भी हक़दार हैं। हमने फैसला किया है कि अब हम अपने पिता के घर ही रहेंगे। हमारे साथ आखिरी बार खाना खाने के लिये। शुक्रिया हुजूर…..! खाना आने तक लीजिये शरवत पीजिये…..!

तभी शहंशाह अकबर शरवत पीकर सो गए। महारानी ने शहंशाह अकबर को शयन कक्ष में भिजवा दिया और शहंशाह अकबर बोले महारानी से……!

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – ओह…. हमारे सर में दर्द हो रहा है महारानी…! आप अभी तक गई नहीं। ओह….! ये हम कहाँ हैं ?

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – जहाँपनाह……! आप हमारे पिता के घर हैं।

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – हम आपके पिता के घर क्या कर रहे हैं ? महारानी….! हमें यहाँ कौन लाया ? और हम यहाँ किस लिये हैं ?

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – हम समझाते हैं हुजुूर….! हम आपको यहाँ लाये।

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – क्यों… ? हमने आपको देश निकाला दिया था। आपकी जुर्रत कैसे हुई ? हमारा हुकुम न मानने की।

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – हमने आपकी आज्ञा अस्वीकार नहीं की है। जहाँपनाह……! बल्कि स्वीकार ही की है।

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – हुकुम माना….! हमने आपको महल छोड़ने को कहा था। न कि हमें साथ लाने को…..!

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – जहाँपनाह……! आपने हमसे कहा था कि हम अपने साथ सबसे अजीज चीज ले जा सकते हैं। आप हमारे लिये दुनिया में सबसे अजीज हैं। जहाँपनाह……! इसलिए हमने आपकी आज्ञा स्वीकार की।

इस बात को सुनकर शहंशाह अकबर हँसने लगे……!

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – बहुत खूब महारानी…..! बहुत खूब…..! हम अपना हुकुम वापस लेते हैं। आप वापस महल आकर हमारे साथ रह सकती हैं।

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – शुक्रिया जहाँपनाह……!

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – इतनी जल्दी नहीं महारानी…..! हम जानते हैं ये किसी और की अकल मंदी है। बताइये कौन है वो ?

महारानी बोली शहंशाह अकबर से – आप सही फरमा रहे हैं। जहाँपनाह……! ये बीरबल का ही सुझाव था।

शहंशाह अकबर बीरबल का नाम सुनते ही हँसने लगे और बोले……!

शहंशाह अकबर बोले महारानी से – हम जानते हैं, ये बीरबल ही सोच सकता है।

शहंशाह अकबर दरबार में आये और देखा बीरबल और मान सिंह ने एक आदमी को बंदी बना रखा था। और बोले……..!

शहंशाह अकबर बोले दरबार में – मान सिंह…..! आप अभी तक यही हैं। क्या हमने आपको देश निकाला नहीं दिया था ? और आपके साथ, ये आदमी कौन है ?

मान सिंह बोला शहंशाह अकबर से – हुजूर…..! मैं माफ़ी चाहता हूँ। आपका हुकुम न मानने के लिये, पर में जग्गा को आपके दरबार में पेश करना चाहता था। बीरबल की वजह से हम इस ख़तरनाक डाकू को ढूंढ पाये।

शहंशाह अकबर बोले मान सिंह से – कैसे ढूंढा इसे ?

मान सिंह बोला शहंशाह अकबर से – हुजूर…..! जब मैंने बीरबल को बताया कि जग्गा हमारे चंगुल से कैसे भाग निकला था। तो उन्होंने कहा था कि साधू का उस समय नदी पर होना बहुत बड़ा इत्तेफाक था। इसीलिए हम वापस उस गाँव गये, उस साधू की खोज में…! जब हमें वो मिला, हमें पता चला कि वो कोई और नहीं जग्गा था, जो साधू के वेश में गाँव में घूम रहा था।

शहंशाह अकबर बोले बीरबल से – शाबाश बहुत खूब बीरबल……! आपने बड़ी होशियारी दिखाई। आपने एक बार फिर से साबित कर दिया। कि आपकी बराबरी कोई नहीं कर सकता।

शहंशाह अकबर बोले मान सिंह से – मान सिंह जी…..! हम आपकी सजा वापस लेते हैं। क्योंकि आपने अपना काम बखूबी कर दिखाया है। बहुत खूब शाबाश…..!

दरबार में अन्य मंत्री शहंशाह अकबर जिंदाबाद……! राजा बीरबल जिंदाबाद……! के नारे लगाने लगे……!