देवी भागवत् में कहा गया है कि संसार को उत्पन्न करने वाली शक्ति महालक्ष्मी माता हैं। सरस्वती, लक्ष्मी और काली यह सभी इन्हीं के स्वरूप से उत्पन्न हुई हैं। जिन पर महालक्ष्मी माता की कृपा हो जाती है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
इन्हीं महालक्ष्मी माता का एक मंदिर भगवान शिव की नगरी काशी में बसा हुआ है जिसे आज बनारस के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को शक्तिपीठ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। यहां माता महालक्ष्मी की पूजा यूं तो सालों भर होती है लेकिन श्राद्घ के दिनों में इसका महत्व बढ़ जाता है।
इस मंदिर के विषय में मान्यत है कि श्राद्घ के 16 दिनों में यानी भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक जो व्यक्ति नियमित महालक्ष्मी का व्रत रखकर पूजा अर्चना करता है उसकी मनोकामना महालक्ष्मी माता पूरी करती हैं। यही कारण है कि श्राद्घ के दिनों में यहां काफी संख्या में श्रद्घालु आते हैं।
इस मंदिर की एक बड़ी ही रोचक मान्यता है कि माता को सिंदूर, बिंदी, महावर सहित ऋ़ंगार की अन्य वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। इनमें एक सोलह गांठों वाला धागा भी शामिल होता है। मंदिर के पूजारी इस धागे को माता का स्पर्श करवाकर श्रद्घालु को देते हैं। माना जाता है कि इस धागे में माता की कृपा होती है जो भक्त को आशीर्वाद स्वरूप प्राप्त होता है।