महामृत्युंजय के विभिन्न मंत्र प्रचलन में हैं। महामृत्युंजय तंत्र नामक शास्त्र में कुल 13220 श्लोकों में महामृत्युंजय के यंत्र, मंत्र तथा तंत्र के प्रयोग का वर्णन है।
यहां महामृत्युंजय मंत्र के कुछ प्रयोगों का विवरण प्रस्तुत है, जिनकी ‘महामृत्युंजय यंत्र’ तथा पारद शिवलिंग की पूजा में आवश्यकता होती है। जन्मकुंडली में बालारिष्ट या मारकेश की महादशा या अंतर्दशा हो और इन कारकों का संबंध शुक्र से हो अर्थात शुक्र मारकेश हो व दशा भी शुक्र की हो तथा रोग या दुर्घटना की आशंका हो, तो शुक्रोपासना महामृत्युंजय के तंत्र का प्रयोग कराने से आशंका को टाला जा सकता है।
शुक्रोपासना मृतसंजीवनी विद्या – ‘ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं, त्र्यम्बकं यजामहे, भर्गो देवस्य धीमहि सुगन्धिंपुष्टिवर्धनं धियो योनः प्रचोदयात्, उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्, ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।’
संजीवनी विद्या की प्राप्ति व प्रयोग सौभाग्य से ही संभव है। इसका तांत्रिक प्रयोग करने के पूर्व इस बात की जानकारी आवश्यक है कि अरिष्टकारी ग्रह किस नक्षत्र में है। उस नक्षत्र के वृक्ष के पंचांग तथा पूजन सामग्री से पारद शिवलिंग तथा शुद्ध धातु पर निर्मित महामृत्युंजय यंत्र का विधिवत पूजन अभिषेक उक्त संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए करना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे यह प्रयोग सिर्फ सिद्ध तथा योग्य ज्ञानी पंडित से ही कराए जाने चाहिए।