देहरादून । चारधाम के रूप में विख्यात यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के बाद बद्रीनाथ धाम के कपाट भी आज ब्रह्ममुहूर्त में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए.
बद्रीनाथ धाम के कपाट सुबह चार बजे खोले गए. इसी के साथ उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की विधिवत् शुरुआत हो गई है. बद्रीनाथ धाम के रावल और मुख्य पुजारी ने पारंपरिक विधि विधान के साथ कपाट खोलने की रस्म पूरी की.
अब गर्मियों के छह महीने तक लोग बद्रीनाथ धाम में अपने आराध्य के दर्शन कर सकेंगे. कपाट खुलने का साक्षी बनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचे और अपने आराध्य के दर्शन किए.
बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. हर साल लाखों की संख्या में तीर्थयात्री बद्रीनाथ के दर्शन करने पहुंचते हैं. बद्रीनाथ चमोली जिले में समुद्रतल से करीब 10,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
सर्दियों के छह महीने यहां बर्फ की चादर बिछ जाती है.
उस दौरान भगवान बद्रीनाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और बद्रीनाथ भगवान की चलविग्रह डोली को पांडुकेश्वर लाया जाता है जहां पर लोग बद्रीनाथ के दर्शन करते हैं.
उल्लेखनीय है कि गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीया के अवसर पर खोले गए थे, जबकि केदारनाथ धाम के कपाट 14 मई को खोले गए.
सर्दियों में उच्च हिमालयी क्षेत्रों के भारी बर्फबारी की चपेट में रहने के कारण चारों धामों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, जो करीब छह माह के बाद अप्रैल-मई में दोबारा श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं.
मई से नवंबर तक की छह माह की यात्रा में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इन चार धामों के दर्शन के लिए आते हैं. इसे पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की आर्थिक रीढ़ माना जाता है.