हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने महिलाओं और लड़कियों की तरफ उठने वाली उंगली को काटने का बड़ा बयान दिया है. पंचकूला में एक कार्यक्रम के दौरान रेप के आरोपियों को सख्त सजा देने की वकालत करते हुए उन्होंने महिलाओं और लड़कियों की तरफ उंगली उठाने वालों की उंगली काटने का बयान मंच से दिया है.
हालांकि मंच से उतरने के बाद जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से उनके इस बयान पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि उनके कहने का ये मतलब नहीं था कि हरियाणा में रेप के आरोपियों की उंगली काट दी जाएगी. बस यह कहने का एक भाव था, जिसमें यह कहना चाहता था कि अब हरियाणा सरकार रेप के आरोपियों और महिलाओं से छेड़छाड़ करने वालों से सख्ती से निपटेगी.
इसके साथ ही मनोहर लाल खट्टर ने यह भी ऐलान किया कि हरियाणा में अब रेप के आरोपियों और महिलाओं से छेड़खानी करने वालों को मिलने वाली तमाम सरकारी योजनाओं के लाभ और सुविधाओं से वंचित कर दिया जाएगा. कोर्ट से रेप के आरोपी के बरी होने के बाद ही ये तमाम सरकारी सुविधाएं उस व्यक्ति को दोबारा मिल सकेगी.
रेप के आरोपियों को सरकारी योजनाओं के लाभ और सुविधाएं न देने के मुख्यमंत्री के बयान का विपक्षी पार्टियों ने स्वागत किया, लेकिन यह सवाल भी किया है कि अगर रेप के आरोपियों और महिलाओं से छेड़खानी करने वालों के खिलाफ सरकार इतनी ही सख्त है, तो ऐसे में BJP के हरियाणा अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे पर एक IAS की बेटी का पीछा करने और छेड़छाड़ करने के आरोप लगे, तो बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ खट्टर ने क्या कार्यवाही की?
विपक्ष ने यह भी पूछा कि कुछ दिन पहले पंचकूला के एक HCS अफसर पर अपने ही महकमे की महिला से छेड़खानी करने के आरोप लगे थे, जिसके बाद अफसर को जेल जाना पड़ा. फिलहाल यह अफसर जमानत पर बाहर है, लेकिन उसके खिलाफ खट्टर सरकार ने कार्रवाही करने की बजाए जमानत पर बाहर आए अफसर को मेवात का SDM बना दिया.
विपक्ष के मुताबिक सरकार की कथनी और करनी में कितना फर्क है, वो इन मामलों पर खट्टर की चुप्पी से साफ हो जाता है. बेशक रेप के आरोपियों और महिलाओं से छेड़खानी करने वालों से तमाम सरकारी योजनाओं के लाभ और सुविधाएं वापस लेने का सीएम मनोहर लाल खट्टर का फैसला बेहद सराहनीय हैं, लेकिन सरकार से विपक्ष जो सवाल कर रहा है, वो सवाल भी बिल्कुल उचित है.
इसकी वजह यह है कि इसी हरियाणा सरकार में अपने विभाग की महिला से छेड़खानी करने वाले अफसर को जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद एक जिले का SDM बनाया दिया गया. ऐसे में विपक्ष सरकार की कथनी और करनी को लेकर अगर सवाल खड़े करता है, तो सरकार को इन सवालों का जवाब देना चाहिए.