नोटबंदी के बाद से बाजार में कैश की समस्या होने से बैंकों में प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन की डिमांड बढ़ गई है। पीओएस यानी स्वैप मशीन के लिए आवेदन करने वालों में चाय की दुकान लगाने वालों से लेकर सरकारी स्कूल, कॉलेज भी शामिल हैं। आवेदन करने के एक महीने बाद तक भी मशीन डिलीवर नहीं हो पा रही है। इससे लोगों के साथ व्यापारियों को परेशानी हो रही है। लोग जहां स्वैप मशीन लगी हैं, वहीं से खरीदी करना पसंद कर रहे हैं।
लीड बैंक प्रबंधक केके सक्सेना के अनुसार जिले की 140 शाखाओं से अभी तक 15 हजार मशीनों की डिमांड आ चुकी है। नोटबंदी के बाद से कैश की कमी के कारण व्यापारियों का कारोबार 60 फीसदी तक कम हो गया।
अभी तक शहर में सिर्फ बड़े व्यापारियों के पास स्वैप मशीन लगी है। अन्य व्यापारियों के यहां ग्राहक भुगतान करने से पहले स्वैप मशीन के बारे में पूछते हैं। बढ़ती मांग को देखते हुए दुकानदारों ने बैंकों में जाकर मशीन के लिए आवेदन किए हैं। आवेदन करने वालों में व्यापारियों के अलावा पेट्रोल पंप संचालक, कृषि दुकानों, गैस एजेंसियों व होटल संचालक शामिल हैं।
एटीएम में केवल 2 हजार के ही नोट
बुधवार को शहर के अधिकतर एटीएम में इक्का-दुक्का लोग ही दिखाई दिए। कारण एटीएम से 2 हजार रुपए के नाेट निकलना है। नोटबंदी के डेढ़ महीने बाद भी शहर के आधे एटीएम में कैश नहीं होने की समस्या बनी हुई है। कैश डिपॉजिट मशीन के बंद होने से बैंकों में राशि जमा करवाने वालों की संख्या भी बढ़ गई है। स्टेट बैंक के क्षेत्रिय प्रबंधक विकास कुमार सिन्हा ने बताया हम बैंक में पहुंचने वाले ग्राहकों को 100, 500 व 2000 के मिलेजुले नोट दे रहे हैं। बैंक के पास 2000 के नोट पर्याप्त है लेकिन 100 व 500 के नोट की कमी है।
चेक बुक की भी डिमांड बढ़ी, उपलब्धता नहीं
बैंकों में नई चेक बुक लेने के लिए आवेदन करने वालों की संख्या में भी इजाफा हो गया। चेक बुक नहीं होने के कारण बैंकों में आमजन के आवेदन रखे हुए हैं। शहर की सभी बैंकों में आवेदन के अनुसार चेकबुक उपलब्ध नहीं हैं। चेक बुक के लिए 20 दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है।
सबसे ज्यादा डिमांड एसबीआई के पास
स्वैप मशीन के लिए व्यापारियों के सबसे ज्यादा आवेदन एसबीआई में हैं। एसबीआई की मुख्य शाखा के प्रबंधक जगदीश डामेशा ने बताया कागजी खानापूर्ति के बाद स्वैप मशीन के आवेदन मुंबई कॉर्पोरेट ऑफिस भेज देते हैं। वहां से आवेदन करने वाले व्यक्ति के पास इंजीनियर जाकर मशीन का इंस्टाॅलेशन कर देते हैं। 200 नई मशीन लगवाने के आवेदन हैं। 60 फीसदी मशीनें लगना बाकी हैं। यह भी एक सप्ताह के अंदर लग जाएंगी।
बैंकों में मशीन डिलीवरी की िस्थति
बैंक आवेदन बकाया
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 200 50%
यूनियन बैंक 30 50%
पंजाब नेशनल बैंक 25 90%
बैंक ऑफ इंडिया 5 95%
देना बैंक 30 90%