रतलाम – निवेशक एवं उपभोक्ता दोनों को आकर्षित कर रही है सोने एवं चांदी की चमक

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इमालवा – रतलाम | विश्व प्रसिद्द रतलाम के सराफा बाज़ार में इन दिनों जबरदस्त ग्राहकी है |  भावो में आई अप्रत्याशित गिरावट ने निवेशक एवं उपभोक्ता दोनों को सोने एवं चांदी की चमक के प्रति एक बार फिर से आकर्षित कर दिया है | भावो में आई मंदी के माहोल का पूरा लुत्फ़ उठाते हुए सराफा बाज़ार में खरीदारी के लिए भीड़ मच रही है, जिसके कारण दिन भर ट्राफिक जाम की स्थिति लगी रहती है | रतलाम के बाज़ार का प्रतिदिन का टर्न ओवर लगभग दो करोड़ रुपये रहता है, यह इन दिनों दस करोड़ तक पहुच गया है | भावो में आई लगातार गिरावट के बाद बाज़ार में हाज़र माल के लिए खीचतान मची हुई है | इस कारण वायदा बाज़ार और हाज़र के भावो में बड़ा अंतर आ गया है | इसी तरह ज्वेलरी की बनवाई के भावो में भी बढ़ोतरी हो गई है |
बाज़ार कुछ ज्यादा ही गुलज़ार है
रतलाम का सराफा बाज़ार देश – विदेश में जाना जाता है |  यहाँ निर्मित ज्वेलरी शुध्दता के मापदंड पर देश भर की अन्य मंडियों से ज्यादा प्रतिष्ठा रखती है | ज्वेलरी पर मिक्सिंग का प्रतिशत अंकित होने के साथ ही कारीगर और व्यापारी दोनों का कोड अंकित रहता है | रतलाम में निर्मित ज्वेलरी की रीसेल वेल्यु का भी एक अलग ही भरोसा रहता है | अपनी इसी खासियत के कारण रतलाम के सराफा बाज़ार में वैसे तो सदैव ही रौनक रहती है | लेकिन सोने के भावो में गिरावट के बाद इन दिनों बाज़ार कुछ ज्यादा ही गुलज़ार है |
मजदूरी और भाव फरक में आई अप्रत्याशित तेजी
सोने के भावो में भले ही गिरावट आ गई है लेकिन वायदा फरक और ज्वेलरी की मजदूरी में मार्केट कुछ ज्यादा ही तेज़ हो चला है | वायदा बाज़ार से हाज़र मार्केट में सोने के भाव सामान्य दिनों में प्रति दस ग्राम मात्र तीन सो रुपये का तथा चांदी में सात सो रुपये प्रति किलोग्राम का अंतर रहता है | लेकिन इन दिनों यह अंतर बढ़कर दोगुने से भी ज्यादा हो गया है | इसी तरह लेबर चार्ज भी बढ़ गया है | इन दिनों सामान्य गहनों की मजदूरी 110 से बढ़कर तीन सो रुपये प्रति ग्राम और फेंसी गहनों की मजदूरी 450 रुपये प्रति ग्राम तक पहुच गई है | इसी तरह कलकत्ती वर्क के आभूषणों की मजदूरी पाच सो रुपये से बढ़कर आठ सो रुपये तक पहुच गई है |
बंगाली कारीगरों से पट गया है रतलाम
रतलाम के परम्परागत आभूषण शिल्पियों को बंगाल के शिल्पियों ने काम्पीटिशन में काफी पीछे छोड़ दिया है | एक अनुमान के मुताबिक़ लगभग पाच से सात हज़ार कारीगर इन दिनों रतलाम में रहकर काम कर रहे है | हालाकि इनके कई साथी व्यापारी का माल लेकर चम्पत भी हो जाते है, लेकिन बावजूद इसके बंगाली कारीगरों की कार्यक्षमता के कारण बाज़ार इन पर निर्भर हो गया है |