आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आपके स्कूल को मान्यता मिलेगी। आरटीई के नियम में एक लाइन यह भी लिखी है कि प्रदेश स्तर पर स्थानीय शासन अपने विवेक से नियम लागू या शिथिल कर सकता है। किसी भी स्कूल संचालक को शिक्षा विभाग या किसी अधिकारी या क्लर्क को रिश्वत देने की आवश्यकता नहीं है। शासन मानता है हम व्यवसाय कर रहे हैं। जबकि हम स्कूल संचालन कर सामाजिक दायित्व निभा रहे हैं। प्रशासन के सारे नियम यदि मान्यता के लिए लागू होते हैं तो प्रदेश के सारे स्कूल बंद हो जाएंगे। मैं प्रदेश के सभी जिलों के डीईओ को चैलेंज करता हूं कि वे एक भी स्कूल की मान्यता तो निरस्त करके दिखाएं।
यह बात मप्र प्रांतीय अशासकीय शिक्षण संस्था संघ के प्रांतीय अध्यक्ष कैलाश आचार्य ने कही। वे रविवार को सुमंगल गार्डन में अशासकीय स्कूल संचालकों की बैठक में बोल रहे थे। इस दौरान मान्यता को लेकर चर्चा की गई। संभागीय अध्यक्ष डॉ. अशोक परमार, घनश्याम कटारिया, भारतसिंह दायमा, जितेंद्र सेंधव, अजय तिवारी, सुरेश चावड़ा, पुरुषोत्तम पांचाल, जे. पी. शुक्ला, जोश मैथ्यू, विक्रम शर्मा, संजय गुप्ता आदि ने भी संबोधित किया। स्वागत दिनेश मेहता, ओमप्रकाश पुरोहित, रेखा दवे आदि ने किया। संचालन जिला संयोजक दीपेश ओझा ने किया। आभार प्रांतीय उपाध्यक्ष व जिला प्रभारी राधेश्याम ओझा ने माना।
मान्यता को लेकर अधिवेशन नवंबर के पहले सप्ताह में
अशासकीय शिक्षण संस्था के जिलों के सम्मेलन नवंबर में रखने का फैसला हुआ। इसमें शिक्षा मंत्री विजय शाह भी शामिल होंगे। इसमें मान्यता सहित अन्य मुद्दों को लेकर चर्चा की जाएगी।