विधायक पारस सकलेचा का निर्वाचन शून्य, सभाओं में भ्रष्टाचार के झूठे आरोप बने निर्णय का आधार

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इमालवा – रतलाम | चुनावी आमसभाओ में अपने विरोधी उम्मीदवार के खिलाफ भ्रष्टाचार का झूठा प्रचार करने वाले रतलाम शहर से निर्वाचित निर्दलीय विधायक पारस सकलेचा का निर्वाचन शून्य घोषित हो गया है | उच्च न्यायालय की इन्दौर खण्डपीठ के विद्वान न्यायाधीश एमसी गर्ग ने शुक्रवार को पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी द्वारा दायर चुनाव याचिका का निपटारा करते हुए यह ऐतिहासिक फैसला दिया है |

भ्रष्टाचार के झूठे आरोपों से आहत पूर्व मंत्री कोठारी ने विगत 19 जनवरी 2009 को जबलपुर उच्च न्यायालय में यह याचिका दायर की थी | इस याचिका की सुनवाई इंदौर उच्च न्यायालय की विशेष खंडपीठ को सौपी गई थी | याचिका दायर होने से लगाकर फैसला आने तक इस प्रकरण की सुनवाई लगभग 72 बार हुई, फैसला होने में चार वर्ष और तीन माह का समय लगा | 

विगत विधानसभा चुनाव का परिणाम 8 दिसंबर 2008 को आया था | इस चुनाव में रतलाम शहर विधानसभा क्षेत्र में बड़ा उलटफेर कर पारस सकलेचा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित हुए थे | सकलेचा ने प्रदेश के तत्कालीन गृहमंत्री हिम्मत कोठारी को लगभग 31हजार मतों से पराजित किया था।

चुनावी आम सभाओं में प्रचार के दौरान पारस सकलेचा ने रतलाम शहर में विभिन्न स्थानों पर श्री कोठारी पर गृहमंत्री पद का दुरुपयोग करने और भारी भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए थे।

विगत 6 नवम्बर 2008 को शहर के मोचीपुरा चौराहे पर सभा के दौरान सकलेचा ने श्री कोठारी पर प्रदेश के पुलिस बल के लिए बन्दूको की खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था | हज़ारो लोगो की मौजूदगी में सभा में सकलेचा ने कहा था की कोठारी के कार्यकाल में दो करोड़ की बन्दूको को सोलह करोड़ में खरीद कर कोठारी ने 14 करोड़ का भ्रष्टाचार किया |

इसी तरह विगत 9 नवम्बर 2008 को शहर के सुभाष नगर क्षेत्र में सकलेचा ने अपनी सभा में कोठारी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने देश के बंगलुरु शहर में बड़ा होटल खोला, मुम्बई के भायंदर से लगाकर बोरीवली क्षेत्र में चार सो करोड़ की एक आवासीय कालोनी विकसित की, इसी सभा में सकलेचा ने कहा था की कोठारी मतदाताओं को लुभाने के लिए टीवी सेट , ठेलागाड़ी , कपडे , बर्तन जैसी वस्तुओ के साथ नगदी बांट रहे है |

ऐसी ही एक अन्य सभा शहर के बाजना बस स्टेंड पर सकलेचा ने विगत 16 नवम्बर 2008 संबोधित की थी | इस सभा में उन्होंने कोठारी पर अपने वनमंत्री के कार्यकाल के दौरान मोर दाना और पानी की खरीद में भारी भ्रटाचार के आरोप लगाकर सनसनी मचा दी थी |  

इन आधारहीन आरोपों को अपने निर्वाचन की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के आशय से प्रेरित बताते हुए श्री कोठारी ने सकलेचा के खिलाफ चुनाव याचिका दायर की थी। इस याचिका में श्री कोठारी ने बतौर साक्ष्य निर्वाचन आयोग द्वारा करवाई गई विडीओ सीडी प्रस्तुत की थी | 

इस याचिका की सुनवाई के दौरान पारस सकलेचा ने अपने बचाव में पहले तो निर्वाचन आयोग से प्राप्त  सीडी की प्रामाणिकता को संदिग्ध बताया | इसके बाद उन्होंने बताई गई आमसभाओ को संबोधित करने से ही इनकार कर दिया था और तो और उन्होंने श्री कोठारी पर किसी भी तरह का आरोप लगाए जाने से इनकार करते हुए सीडी में दर्ज आवाज़ को अपनी आवाज़ तक मानने से इनकार कर दिया था |

इस मामले में श्री कोठारी की और से याचिका की पैरवी उच्च न्यायालय के अधिवक्ता वीर कुमार जैन एवं सुबोध अभ्यंकर ने की |

असत्य पर सत्य की जीत – कोठारी

उच्च न्यायालय के निर्णय पर पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह फैसला असत्य पर सत्य की जीत है। चुनाव प्रचार के दौरान मेरी छबि को बिगाडा गया और मुझ पर करोडों रुपए के भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाकर मतदाताओं को भी भ्रमित किया गया था। ऐसी स्थिति में सत्य को सामने लाने के लिए न्यायालय की शरण में जाना जरुरी था और न्यायालय ने सत्य को सबके सामने ला दिया है। श्री कोठारी ने कहा कि पहले उनकी इच्छा श्री सकलेचा के विरुध्द व्यक्तिगत मानहानि का दावा लगाने की थी,लेकिन पार्टी और मित्रों की सलाह पर उन्होने निर्वाचन याचिका प्रस्तुत की थी ताकि भविष्य में अन्य राजनीतिक दलों व नेताओं को भी यह सबक मिले कि प्रतिद्वंदी पर आधारहीन और झूठे आरोप लगाकर चुनाव जीतने के प्रयास न किए जाए।