ऊना जिले के अम्ब उपमंडल के अंतर्गत धार्मिक स्थान बधमाणा सिद्ध में ज्येष्ठ व आषाढ़ महीने के प्रत्येक शनिवार को मेला लगता है। यह मेले मानसून आने तक चलते हैं। यह मेला इस क्षेत्र का सबसे लोकप्रिय मेला माना जाता है। यह धार्मिक स्थान चिंतपूर्णी के समीप जल्लो दी बड़ नामक स्थान से भद्रकाली सम्पर्क मार्ग पर पड़ता है। इस धार्मिक स्थान पर किसी भी प्रकार के चर्म और आंखों के रोगियों को जल व विभूति लगाने से ही पूरी तरह निजात मिल जाती है। इस स्थान पर क्षेत्र के लोग ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी काफी संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी होने पर इस स्थान पर नतमस्तक होने के लिए पहुंचते हैं। हालांकि अब यह धार्मिक स्थान सड़क सुविधा से जुड़ चुका है लेकिन कभी इस स्थान पर पहुंचने के लिए केवल पहाड़ी खड्ड रास्तों से ही पहुंचा जाता था। जंगल में बसे बधमाणा गांव में अब वाहनों से पहुंचना काफी आसान हो गया है।
श्री सिद्ध बाबा अजिपाल जी का इतिहास
बधमाणा गांव में श्री सिद्ध बाबा अजिपाल जी एक पिंडी के रूप में पहाड़ी गुफा में विराजमान हैं जिसे बधमाणा सिद्ध के नाम से भी जाना जाता है। महंत जगदेव सिंह व कुलवीर सिंह बताते हैं कि 12वीं शताब्दी के दौरान उनके वंशज विजय सिंह गांव के जंगल में पशु चराने जाते थे। यहां उन्होंने श्री सिद्ध बाबा अजिपाल को तपस्या में लीन पाया। धीरे-धीरे उन दोनों के बीच मुलाकातों का सिलसिला बढ़ने लगा और इस दौरान उक्त स्थान पर कई चमत्कारी घटनाएं घटने लगी। जब वरदान मांगने की बात आई तो विजय सिंह ने श्री सिद्ध बाबा अजिपाल जी को ही मांग लिया। माना जाता है कि उसी समय से श्री सिद्ध बाबा अजिपाल जी इस स्थान पर पिंडी के रूप में यहां एक ऊंची पहाड़ी गुफा में विराजमान हैं। तभी से इस धार्मिक स्थान की सेवा विजय सिंह के वंशज जिसे बधमाणी कहा जाता है वही इस स्थान की देखभाल व सेवा कर रहे हैं।
यहां होता है हवन यज्ञ
मेले के दौरान बधमाणी वंशज की ओर से यहां भंडारे का आयोजन किए जाने के साथ-साथ देश व प्रदेश की उन्नति व जनता की सुख-समृद्धि के लिए हवन यज्ञ भी किया जा रहा है, जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु शिरकत करते हैं।
यहां एक जैसा रहता है तापमान
बेशक इस समय ऊना जिला का तापमान 44 डिग्री के आसपास है लेकिन इस स्थान पर हमेशा एक जैसा तापमान रहता है जिसके चलते यहां मेले के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ का तांता लगा रहता है। पहाड़ियों के बीच धार्मिक स्थान होने के कारण यहां गर्मी का एहसास नहीं होता है। मेलों के दौरान जो भी श्रद्धालु इस स्थान पर पहुंचता है वह गर्मी से निजात पाने के लिए पूरा दिन यहां पड़ाव डाले रहते हैं।