जी हां देश की सबसे कम उम्र की बेटी पर्वतरोहण करने जा रही है। इस पर देश को गर्व है साथ ही इनकी उम्र महज़ 19 साल है,इनका नाम साची सोनी है। 6 अप्रैल को साची सोनी दिल्ली इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरर्पोट से नेपाल की उड़ान भरी है जहां से वह माउंट एवरेस्ट चढ़ेंगी।साची ने पी7 डॉट कॉम से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान शेयर किए बहुत सारे पल। साची कहती हैं कि उन्…
जी हां देश की सबसे कम उम्र की बेटी पर्वतरोहण करने जा रही है। इस पर देश को गर्व है साथ ही इनकी उम्र महज़ 19 साल है,इनका नाम साची सोनी है। 6 अप्रैल को साची सोनी दिल्ली इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरर्पोट से नेपाल की उड़ान भरी है जहां से वह माउंट एवरेस्ट चढ़ेंगी।साची ने पी7 डॉट कॉम से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान शेयर किए बहुत सारे पल। साची कहती हैं कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था किवह कभी इस तरह का कदम उठाएंगी पर मन में हमेशा सोचा था कि जिंदगी में कुछ अलग करना है। इस बहादुर लड़की का कहना है कि उनके मात-पिता के साथ और भगवान के आशीर्वाद के बाद उन्होंने ठाना कि माउंट पर्वत पर चढ़ना है, देश को गौरंवित करना है, कुछ अलग करना है…यह कहना है देश कि सबसे छोटी बेटी जो महज़ 19 साल की हैं, जिनका नाम साची सोनी है। साची मूल रुप से जयपुर (राजस्थान की रहने वाली है)। इन्होंने जयपुर से बाहरवीं कक्षा करने के बाद देश की राजधानी जाने का मन बनाया जहां से वह मीड़िया का कोर्स कर रही हैं।साची अब माउंट एवरेस्ट चढ़ रही हैं पर पहले वह और भी कई पर्वत चढ़ चुकी हैं। चढ़ाई के दौरान कितने ही खट्टे-मीठे अनुभवों से गुजर चुकीं साची कहती हैं ‘मैने सिक्कीम और घरवाल के पर्वतों का आरोहण किया है, जिसमें इन्होंने 21,800 फुट के बांद्रपूंछ के पर्वत को पहले ही लांघ लिया है उस समय भी कठिनाईयां तो आई थी पर मेरे साथ मेरे माता-पिता और गुरु का आर्शीवाद था। इस कराण डर कभी नहीं लगा। साची को स्वीमिंग, र्होस राइडिंग करना बहुत अच्छा लगता है।हर खिलाड़ी कुछ न कुछ राय रखते हैं अपने खेल के बारें में इनकी क्या राय है आईये बताते हैं कि एसे चैंलेज लेना उन्हें अच्छा लगता है, साथ ही कहती है इस तरह के खेल में रिटेक नहीं होते, सिर्फ एक टेक होता है। आगे कहती हैं कि इस तरह के खोलों में आपके हाथ,पैर सुन हो सकते हैं वह भी हमेशा के लिए या सांस की बिमारी हो सकती है या फिर कहें ज़िदगी का आखिरी स्टेप मौत जी हां, मौत भी हो सकती है।साची की इन बातों से कई और लड़कियों को और भी कई स्त्रीयों को हौंसला ज़रुर मिलेगा। इस बात से एक बात तो सामने आती है वह यह कि महिलाओँ कि हिम्मत, भई ठान ले तो ज़रुर उसे पूर दिखलाती हैं। महिलाओं की दशा-दिशा पर बात करते हुए वह कहती हैं कि महिलाएं किसी भी स्तर पर खुद को कम न आंके। आज हर क्षेत्र में महिलाओं का बोलबाला है, यह इस बात का संकेत है कि अगर वह चाहे तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। रास्ता वही तय करता है, जो कदम आगे बढ़ाता है और उसकी जीत निश्चित होती है। हां, हमारे समाज का जो परिवेश है, उसे बदलने के लिए हम सबको ही आगे बढ़ना होगा। अपनी ताकत को पहचानो। मुश्किल हर कदम पर है, जरूरत है खुद में जीत का जज्बा पैदा करने की।अंत में हम साची को ढे़र सारी शुभकामनाओं के साथ ऑल द बेस्ट कहेंगे। हिप हिप हुर्रे…