मास्टर ब्‍लास्‍टर बन गए हैं सेलेक्टर!

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सचिन को आपने अपने बल्ले से रनों के रिकॉर्ड बनाते देखा है। मास्टर को अपनी फिरकी में विरोधी बल्लेबाज़ों को फंसाते देखा होगा। फील्डिंग में सचिन की फुर्ती भी देखी है। यहीं नहीं मास्टर को कई बार टीम के साथी बल्लेबाज़ों और गेंदबाज़ों को कोचिंग टिप्स भी देते हुए देखा होगा लेकिन अब सचिन बने सुपर सलेक्‍टर।लगता है मास्टर बन गए हैं सेलेक्टर और लगता है सचिन ने…

सचिन को आपने अपने बल्ले से रनों के रिकॉर्ड बनाते देखा है। मास्टर को अपनी फिरकी में विरोधी बल्लेबाज़ों को फंसाते देखा होगा। फील्डिंग में सचिन की फुर्ती भी देखी है। यहीं नहीं मास्टर को कई बार टीम के साथी बल्लेबाज़ों और गेंदबाज़ों को कोचिंग टिप्स भी देते हुए देखा होगा लेकिन अब सचिन बने सुपर सलेक्‍टर।लगता है मास्टर बन गए हैं सेलेक्टर और लगता है सचिन ने क्रिकेट के बाद सेलेक्टर बनने का मन बना लिया है। कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन की 75 साल पूरा होने पर बैंगलोर में प्लेटनिम जुबली फंक्शन में पहुंचे।सचिन सेलेक्शन पर अपनी अलग ही सोच पेश की जहां आमतौर पर सेलेक्टर्स की नज़रें घरेलू क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों या विकेट लेने वालों पर होती है तो वहीं सचिन चाहते हैं कि सेलेक्टर ऐसे खिलाड़ियों को चुनें। जिनमें इंटरनेशनल क्रिकेट का दबाव झेलने का माद्दा हों और वो मुश्किल परिस्थितियों में रनों की बरसात कर सकें।सचिन की यह सोच किसी भी आम सेलेक्टर से अलग हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह है उनका अनुभव। दरअसल मास्टर ने पिछले कुछ समय में ऐसे कई खिलाड़ियों को देखा है जो घरेलू क्रिकेट में सफल होने के बावजूद इंटरनेशनल क्रिकेट में अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाते और इसलिए सचिन चाहते हैं कि सेलेक्टर्स को दूरदर्शी होना चाहिए। जाहिर है सचिन की बातों में बेहद दम हैं और मास्टर की सेलेक्शन पर इस सोच से इंडियन क्रिकेट का भी फायदा हो सकता है।