भारतीय बैडमिंटन जगत में यह वर्ष जहां स्टार सायना नेहवाल के लिए बेहद खराब गुजरा वहीं उदीयमान युवा खिलाड़ी पुसर्ला वेंकट सिंधु ने सफलता की नई ऊंचाइयों को छूआ।
छठी विश्व वरीयता प्राप्त नेहवाल जहां बिना पदक के सत्र का समापन करने वाली हैं, वहीं उन्हीं के गृहनगर हैदराबाद की सिंधु इस वर्ष विश्व चैम्पियनशिप के एकल वर्ग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं।
11वीं विश्व वरीयता प्राप्त सिंधु इस सत्र के दौरान कुछ समय के लिए विश्व की शीर्ष 10 खिलाड़ियों की सूची में पहुंचने में भी कामयाब रहीं।
बीते रविवार को मकाऊ ओपन जीतने वाली सिंधु ने इसके अलावा इस वर्ष ग्रां प्री गोल्ड-2013 में भी खिताबी जीत हासिल की। सिंधु की अभूतपूर्व उपलब्धियों के लिए उन्हें सितंबर में अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।
18 वर्षीय सिंधु के लिए वर्ष 2013 उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ वर्ष रहा। सिंधु ने हैदराबाद से ही बताया कि मेरे लिए यह वर्ष अब तक करियर का सर्वश्रेष्ठ वर्ष साबित हुआ है। मैंने इस वर्ष विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक के अलावा दो खिताबी जीत हासिल की।
सिंधु ने वर्ष का पहला ग्रांप्री. खिताब मई में हुए मलेशिया ओपन में जीता। इसके ठीक बाद अगस्त में उन्होंने चीन के क्वांगचो में हुए विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया। इसके बाद उन्होंने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए मकाऊ ओपन में खिताबी जीत के साथ वर्ष का समापन किया।
सिंधु नेआगे कहा कि मैं खासकर यह (मकाऊ ओपन) खिताब जीतकर बेहद खुश हूं, क्योंकि मैं खिताबी जीत के साथ वर्ष का समापन करना चाहती थी। इन सबने मुझे अगले वर्ष के लिए आत्मविश्वास से भर दिया है। मैं अपना प्रदर्शन जारी रखूंगा और अगले वर्ष देश को और भी खिताब जीतूंगी।
विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने के बाद हालांकि सिंधु के प्रदर्शन में अचानक गिरावट आ गई थी। विश्व चैम्पियनशिप के बाद वह जापान ओपन के दूसरे दौर के आगे नहीं बढ़ सकीं, डेनमार्क, फ्रांस और हांगकांग में लगातार मिली हार के कारण उनकी रैंकिंग में भी गिरावट आई।
इस पर सिंधु ने कहा कि मैंने फिर थोड़ा विश्रम करने का फैसला किया और चीन ओपन में हिस्सा नहीं लिया। मैंने मकाऊ ओपन के लिए गोपीचंद बैडमिंटन अकैडमी में कठिन मेहनत की, और आखिरकार मेरी कठिन मेहनत रंग लाई।