बीजिंग ओलंपिक में देश का नाम रोशन करने वाले बॉक्सर विजेंदर सिंह लगभग पिछले एक सप्ताह से ड्रग्स के साये से घिरे हुए हैं। अब बार-बार सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर क्यों विजेंदर नहीं दे रहे इनटेरोगेशन में पुलिस का साथ और क्यों किया जा रहा है इतना वक़्त बर्बाद।बॉक्सर विजेंदर सिंह ने आख़िर क्यों किया ब्लड और हेयर सैम्पल का देने से इंकार कर दिया। विजेंदर सिर्… बीजिंग ओलंपिक में देश का नाम रोशन करने वाले बॉक्सर विजेंदर सिंह लगभग पिछले एक सप्ताह से ड्रग्स के साये से घिरे हुए हैं। अब बार-बार सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर क्यों विजेंदर नहीं दे रहे इनटेरोगेशन में पुलिस का साथ और क्यों किया जा रहा है इतना वक़्त बर्बाद।बॉक्सर विजेंदर सिंह ने आख़िर क्यों किया ब्लड और हेयर सैम्पल का देने से इंकार कर दिया। विजेंदर सिर्फ़ वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी यानी वाडा या नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी यानी नाडा को ही सैम्पल देना चाहते हैं लेकिन ख़ास बात यह है कि हेरोइन वाडा या नाडा की बैन ड्रग्स की लिस्ट में शामिल नहीं है। हेरोइन एक पार्टी ड्रग्स है और इसके इस्तेमाल से खिलाड़ी मैदान में अपनी पर्फॉर्मेंस प्रभावित नहीं कर सकता और न ही होरोईन मसल या पावर बढ़ाती है। यानी खेल पर हेरोइन का कोई असर नहीं पड़ता।इतना ही नहीं वाडा और नाडा दोनों ही एजेंसियां खिलाडिय़ों का सिर्फ़ ब्लड या यूरीन सैम्पल ही लेती हैं। हेयर सैम्पल लेने का इन एजेंसियों के पास कोई अधिकार नहीं है। ख़ास बात यह है कि सिर्फ़ हेयर सैम्पल टेस्ट ही वो ज़रिया है जिसके 30 दिनों के भीतर हेरोइन के नशा का पता लगाया जा सकता है।एक बड़ा सवाल यह भी है आख़िर सैम्पल कलैक्शन में इतना टाइम क्यों लगाया जा रहा है, कहीं इस तरह से वक़्त बर्बाद करना कोई सोचचा समझा प्लान तो नहीं है। तो इसका जवाब है कि ऐसा हो भी सकता है क्योंकि ब्लड और यूरीन टेस्ट के ज़रिये सिर्फ़ 48 से 72 घंटे तक ही शरीर में हेरोइन की मौजूदगी का पता लगाया जा सकता है तो विजेंदर का यह बर्ताव उन पर कई सवाल खड़े कर रहा है कहीं विजेंदर ये रवैया उन्हें मुसिबतों के जाल में और बुरी तरह न फंसा दे।