क्रिकेटर धोनी जो मैदान में करते हैं, क्या उस पर बिज़नेसमैन धोनी का भी असर होता है? जांच से तो कुछ यही चौंकाने वाला सच समने आ रहा है।एक अंग्रेजी न्यूजपेपर की पड़ताल के मुताबिक जिस स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी में धोनी की 15 फीसदी हिस्सेदारी है, वही ‘रीति’ कंपनी टीम इंडिया के चार खिलाड़ियों का मैनेजमेंट देखती है यही नहीं, ‘रीति’ के पास ही चेन्नई सुपरकि…
क्रिकेटर धोनी जो मैदान में करते हैं, क्या उस पर बिज़नेसमैन धोनी का भी असर होता है? जांच से तो कुछ यही चौंकाने वाला सच समने आ रहा है।एक अंग्रेजी न्यूजपेपर की पड़ताल के मुताबिक जिस स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी में धोनी की 15 फीसदी हिस्सेदारी है, वही ‘रीति’ कंपनी टीम इंडिया के चार खिलाड़ियों का मैनेजमेंट देखती है यही नहीं, ‘रीति’ के पास ही चेन्नई सुपरकिंग्स के मार्केटिंग राइट्स भी हैं। तो क्या ये पैसा है जिसने फिक्सिंग पर भी धोनी के होंठ सिल रखे हैं।क्या ऐसे वक्त में जब भारतीय क्रिकेट की साख दांव पर है, क्रिकेटर धोनी पर कारोबारी धोनी हावी हो रहा है? इकनॉमिक टाइम्स की मानें तो बिजनेसमैन धोनी और कैप्टन धोनी के बीच सीधे-सीधे बहुत गहरा संबंध है।दरअसल, अपने दोस्त अरुण पांडे की स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी ऋति में धोनी के 15 फीसदी शेयर हैं। टीम इंडिया में शामिल सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा, प्रज्ञान ओझा और आरपी सिंह का मैनेजमेंट ऋति ही देखती है। यानी टीम में जिन खिलाड़ियों का होना या ना होना, बहुत हद तक धोनी की मर्ज़ी पर निर्भर करता है, वो उनके क्लाएंट भी हैं।महेंद्र सिंह धोनी इसी साल 210 करोड़ रुपये में ऋति के पंद्रह फीसदी हिस्सेदार बने हैं। अब चेन्नई सुपरकिंग्स में कैप्टन कूल किस तरह क्रिकेट और बिज़नेस का खेल एक साथ खेल रहे हैं, आइए आपको बताते हैं।सुपरकिंग्स की मालिक कंपनी इंडिया सीमेंट्स में धोनी वाइस-प्रेसीडेंट हैं और टीम की मार्केटिंग का ज़िम्मा भी ऋति के पास है। ऋति के दो क्लाएंट रैना और जडेजा भी चेन्नई के लिए ही खेलते हैं।इस पूरे गोरखधंधे से सबसे पहला सवाल पैदा होता है- क्या इंडिया सीमेंट्स और ऋति के साथ कारोबारी रिश्ते ही फिक्सिंग विवाद में धोनी की चुप्पी की असल वजह हैं? जो खिलाड़ी धोनी की कंपनी को पैसा देते हैं, उन्हीं की सेलेक्शन के बारे में फैसला लेना धोनी के लिए सही है? अगर श्रीनिवासन कुर्सी से इसलिए हटे, क्योंकि वो फिक्सिंग में फंसी चेन्नई टीम के मालिक भी थे, तो क्या धोनी पर ये पैमाना लागू नहीं होता?जनवरी 2012 में जब धोनी से टेस्ट टीम की कप्तानी छीनने की मांग उठ रही थी, तो श्रीनिवासन के वीटो ने ही उन्हें बचाया था। ज़ाहिर है सवाल गंभीर हैं, लेकिन चंद लोगों की बपौती बने बोर्ड में से ईमानदार जवाब निकलकर आएंगे, इसकी उम्मीद कितनी रखें, ये बड़ा सवाल है।