केंद्र और यूपी सरकार के बीच की राजनीति में उलझा लगभग 4 लाख लीटर पानी घूम फिर कर रतलाम पहुंच गया है। रेल मंडल के 10 वैगन (पानी की टंकी) सहित वाटर स्पेशल कोटा से पानी भरकर बुंदेलखंड पहुंची तो अखिलेश यादव की यूपी सरकार ने यह कहते हुए लौटा दिया कि रेल नहीं पानी के टैंकर चाहिए। कुछ दिनों घूमकर वैगन वापस रतलाम तो पहुंचे लेकिन इनमें पानी भरा है। पहले ही पानी की कमी से जूझ रहा रेलवे अब इसका उपयोग स्टेशन पर करेगा।

रतलाम रेल मंडल की अपनी 24 डिब्बों वाली वाटर स्पेशल ट्रेन है। झांसी डिवीजन से डिमांड आने के बाद 10 वैगन 3 मई को महोबा (झांसी) के लिए रवाना किए थे। वहां से पानी लेकर ट्रेन झांसी पहुंची तो राजनीतिक उलझन की वजह से बगैर पानी खाली किए लौटा दी गई। एक सप्ताह इधर-उधर घूमकर वाटर स्पेशल बुधवार को वापस रतलाम आ गई। यह देख रेलवे अधिकारी भी चौंक गए। डेढ़ दिन के विचार-विमर्श करने के बाद रेलवे के वर्क्स डिपार्टमेंट में इस पानी का उपयोग स्टेशन क्षेत्र में करने का निर्णय लिया है।

ऐसे स्टेशन तक पहुंचेगा पानी

वाटर स्पेशल फिलहाल सैलाना डाउन यार्ड में खड़ी है। यही एक बड़ा कुआं नंबर 562 और पंप रूम बना है। वैगन से पानी कुएं में खाली किया जाएगा। यहां से पानी लिफ्ट कर शिमला कॉलोनी स्थित फिल्टर हाउस पहुंचाया जाएगा, वहां से फिल्टर कर पानी को स्टेशन क्षेत्र में सप्लाई किया जाएगा।

कभी भी पड़ सकती है वाटर स्पेशल की जरूरत

लगातार कम होते जा रहे पानी की मात्रा को देखते हुए रेलवे भी वाटर स्पेशल चलाने की तैयारी में है। पूरे रेलवे को एक दिन में 30 से 32 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है। इसमें भी सबसे ज्यादा पानी 10 लाख लीटर नगर निगम सप्लाई कर रहा था, बाकी रेलवे के कुओं, ट्यूबवेल, हैंडपंपों व अन्य स्रोतों से मिल रहा है। धोलावड़ डेम का जलस्तर कम होने के साथ निगम सप्लाई में कटौती करना शुरू कर दिया है। ऐसे में आगामी कुछ दिनों में वाटर स्पेशल चलाना पड़ सकती है। यही वजह है कि रेलवे वाटर स्पेशल के पानी से भरे 10 वैगनों को जल्द से जल्द खाली करना चाहता है ताकी जरूरत पड़ने पर तत्काल वाटर स्पेशल चलाई जा सके।

By parshv